हमारे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कई तरह के पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है। इसमें दूध और अंडे दोनों ही अहम योगदान देते हैं। दूध में कैल्शियम, प्रोटीन, विटामिन D और अन्य खनिज होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाते हैं और शरीर को ताकत प्रदान करते हैं। इसी कारण से अधिकांश माता-पिता अपने बच्चों को एक गिलास दूध पीने की सलाह देते हैं, हालांकि वे अंडा खाने से बच सकते हैं। अंडे में उच्च गुणवत्ता का प्रोटीन और अन्य जरूरी पोषक तत्व होते हैं जो शरीर के विकास और ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने में मदद करते हैं।
दूध को पेस्टुराइज करके पीने से यह अधिक सुरक्षित और पौष्टिक हो जाता है। पेस्टुराइजेशन वह प्रक्रिया है, जिसके तहत दूध को उबालकर उसे कुछ समय के लिए उच्च तापमान पर गर्म किया जाता है, ताकि उसमें मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया या वायरस मारे जा सकें। वहीं, कच्चे दूध का सेवन लोगों में विवाद का कारण बना हुआ है। कुछ लोग मानते हैं कि कच्चा दूध पीने से अधिक फायदे होते हैं, जबकि कई विशेषज्ञ इसे स्वास्थ्य के लिए खतरनाक मानते हैं।
कच्चे दूध के सेवन से होने वाले खतरे
कच्चे दूध का सेवन करने से कई स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं। यह अक्सर बैक्टीरिया, वायरस और अन्य हानिकारक सूक्ष्मजीवों से भरा होता है। इसके कारण कई गंभीर बीमारियाँ हो सकती हैं। चलिए, विस्तार से जानते हैं कच्चे दूध के सेवन से होने वाले विभिन्न खतरों के बारे में:
बीमारियों का खतरा
कच्चे दूध में कई तरह के बैक्टीरिया और वायरस हो सकते हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होते हैं। जब लोग बिना उबालें या पेस्टुराइज किए दूध का सेवन करते हैं, तो इससे गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण (पेट से संबंधित बीमारियाँ) हो सकती हैं। इनमें डायरिया, बुखार, उल्टी, और पेट में ऐंठन जैसी समस्याएं शामिल हैं। खासकर ग्रामीण इलाकों में जहां लोग सीधे पशु के दूध का सेवन करते हैं, वहां यह समस्या ज्यादा पाई जाती है। कच्चे दूध में मौजूद बैक्टीरिया और वायरस शरीर में प्रवेश करके स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकते हैं।
प्रेगनेंसी में जोखिम
प्रेगनेंट महिलाओं के लिए कच्चा दूध अत्यधिक खतरनाक हो सकता है। कच्चे दूध में लिस्टेरिया मोनोसाइटोजेनेस नामक बैक्टीरिया पाया जा सकता है, जो लिस्टेरियोसिस नामक संक्रमण का कारण बनता है। यह संक्रमण मां और नवजात दोनों के लिए खतरनाक हो सकता है। यदि प्रेगनेंट महिला कच्चा दूध पीती है तो इससे मिसकैरेज, प्रीमेच्योर डिलीवरी या जन्म के समय बच्चे और मां की जान को खतरा हो सकता है। इसीलिए गर्भवती महिलाओं को हमेशा पेस्टुराइज्ड दूध का ही सेवन करना चाहिए।
बर्ड फ्लू का खतरा
कच्चे दूध में कई प्रकार के हानिकारक सूक्ष्मजीव हो सकते हैं, जिनमें से कुछ बर्ड फ्लू का कारण भी बन सकते हैं। उदाहरण के लिए, HPAI A(H5N1) वायरस जो आमतौर पर पक्षियों में पाया जाता है, वह कच्चे दूध में मौजूद हो सकता है। हालांकि, दूध से बर्ड फ्लू का संक्रमण होने का खतरा काफी कम है, फिर भी यह वायरस अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याओं को जन्म दे सकता है। इसलिए, हमें पके दूध से बनी चाय, दूध शेक या अन्य पेय पदार्थों का सेवन करना चाहिए।
एसिड लेवल का बढ़ना
कच्चे दूध में विभिन्न प्रकार के एसिड और प्रोटीन होते हैं, जो पेट में एसिड का स्तर बढ़ा सकते हैं। जब इसे बिना उबाले या पेस्टुराइज किए सेवन किया जाता है, तो शरीर में एसिड का उत्पादन बढ़ सकता है, जिससे एसिडिटी और पेट दर्द की समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। खासकर उन लोगों को यह समस्या हो सकती है जिनका पाचन तंत्र कमजोर होता है। इसके परिणामस्वरूप पेट की जलन, गैस, या एसिडिटी जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
पेस्टुराइज्ड दूध के फायदे
पेस्टुराइजेशन के दौरान दूध को उबालने से उसमें मौजूद बैक्टीरिया और वायरस खत्म हो जाते हैं, जिससे यह सुरक्षित बन जाता है। इस प्रक्रिया के बाद दूध में आवश्यक पोषक तत्व बरकरार रहते हैं और यह शरीर के लिए फायदेमंद होता है। पेस्टुराइज्ड दूध में कोई भी हानिकारक बैक्टीरिया नहीं होते, इसलिए इसे सीधे पीने या अन्य खाद्य पदार्थों में इस्तेमाल करने से कोई जोखिम नहीं होता।
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