नई दिल्ली: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज राज्यसभा में संविधान पर चर्चा की शुरुआत की, और बताया कि कांग्रेस ने कितनी बार और कितने गलत तरीकों से संविधान में बदलाव किया। उनका संबोधन ख़त्म होने के बाद कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जवाब देने के लिए खड़े हुए और उन्होंने कहा कि, उन्होंने (सीतारमण ने) जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) से पढ़ाई की है और वहां के छात्र बहुत प्रगतिशील हैं और देश के विकास में योगदान दे रहे हैं चाहे वह अर्थशास्त्र हो, राजनीति विज्ञान हो लेकिन आज यहां लोकतांत्रिक मूल्यों को खत्म करने की बात हो रही है।
खड़गे ने कहा कि, ''में 'भारत के संविधान की 75 साल की गौरवशाली यात्रा' पर चर्चा के दौरान बोलते हुए कहना चाहता हूँ कि सभी को संविधान और उसकी प्रस्तावना का पालन करना चाहिए।'' उन्होंने कहा, "सिर्फ़ एक-दूसरे पर उंगली उठाने से कुछ नहीं होगा। जनसंघ ने कभी मनुस्मृति के नियमों के आधार पर संविधान बनाने का लक्ष्य रखा था। यही आरएसएस का इरादा था। तिरंगे, अशोक चक्र और संविधान का तिरस्कार करने वाले आज हमें उपदेश दे रहे हैं। जिस दिन संविधान लागू हुआ, उसी दिन इन लोगों ने रामलीला मैदान में अंबेडकर , महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू के पुतले जलाए। वे बेशर्मी से नेहरू-गांधी परिवार का अपमान करते हैं।"
खड़गे ने आरोप लगाते हुए कहा, "1949 में RSS नेताओं ने भारत के संविधान का विरोध किया क्योंकि यह मनुस्मृति पर आधारित नहीं था। न तो उन्होंने संविधान को स्वीकार किया और न ही तिरंगे को। 26 जनवरी 2002 को पहली बार मजबूरी में आरएसएस मुख्यालय पर तिरंगा फहराया गया। क्योंकि इसके लिए कोर्ट का आदेश था।"
खड़गे ने कहा कि, " संविधान कहीं से भी नहीं आया, बल्कि महत्वपूर्ण आंदोलनों, स्वतंत्रता संग्राम और यहां तक कि पहले की घटनाओं ने इसे आकार दिया। नेहरू ने 1937 के चुनावों में संविधान सभा की मांग को केंद्रीय मुद्दा बनाया। ये लोग न तो महात्मा गांधी, न ही नेहरू और न ही अंबेडकर का सम्मान करते हैं।" खड़गे ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर आरोप लगाते हुए कहा कि, जो लोग संविधान का अपमान करते रहे हैं, वो आज हमें उपदेश दे रहे हैं।