सरकारी अस्पताल में बदले गए बच्चे

सरकारी अस्पताल में बदले गए बच्चे
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विजयवाड़ा: आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से एक बड़ी खबर आई है। जी दरअसल यहाँ के एक सरकारी अस्पताल में बच्चा बदलने का मामला सामने आया है। जी हाँ, मिली जानकारी के तहत बच्चा बदलने का आरोप लगाते हुए एक दंपती ने अस्पताल के शव घर में रखे तीन दिन के मृत बच्चे शव को लेने से इनकार कर दिया है। जी हाँ और दंपती बच्चे के डीएनए टेस्ट की मांग कर रहे हैं। आप सभी को बता दें कि रंजीत व निर्मला नाम के दंपती ने यह आरोप लगाया है कि उनका बच्चा किसी और को दे दिया गया है। इसी के साथ उन्होंने यह भी दावा किया है कि पैदा होते वक्त अस्पताल के स्टाफ ने उन्हें बताया था कि उनके बच्चे का वजन 1.9 किलोग्राम है लेकिन इसके कुछ देर बाद कहा गया कि बच्चे को अस्पताल की स्पेशल केयर यूनिट में रखना पड़ेगा, क्योंकि वह कम वजन का है।

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जी हाँ और इसके बाद अस्पताल ने बताया कि बच्चे का डायपर हटाने के बाद वजन 400 ग्राम निकला है। इस मामले में दंपती ने यह भी आरोप लगाया कि यह बच्चा पूर्व में दिखाए गए बच्चे जैसा भी नहीं था, दो दिन बाद यानी 12 नवंबर को अस्पताल ने उन्हें बताया कि बच्चे की मौत हो गई है। एक मशहूर वेबसाइट से बातचीत में रंजीत ने कहा कि मृत बच्चा उनका बेटा नहीं है, इसलिए वे उसका शव लेने को तैयार नहीं हैं। उन्होंने डीएनए टेस्ट कराने की भी मांग की, ताकि पुष्टि हो सके कि यह बच्चा किसका है। जी दरअसल रंजीत ने आरोप लगाया कि अस्पताल में मेरा बच्चा बदल दिया गया है। अस्पताल के रेकॉर्ड के अनुसार मेरा बच्चा 9 नवंबर को दोपहर 1.22 बजे पैदा हुआ था। मुझे जन्म का समय 4.05 बजे बताया गया। आईडी नंबर बार-बार बदले जाने का शक है। कई अन्य आशंकाएं भी हैं। खून का नमूना लेते वक्त भी लड़के की बजाए लड़की लिखा गया। मृत बच्चा मेरा नहीं है।

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जब तक डीएनए टेस्ट नहीं कराया जाएगा, मैं उसे नहीं दफनाने की रस्म नहीं करूंगा। दूसरी तरफ अस्पताल का कहना है कि नवजात शिशुओं के बदलने की संभावना नहीं है। बच्चे का वजन कम था। उसे इन्क्यूबेशन में रखा गया था और ऑर्गन फेल होने के कारण उसकी मौत हो गई थी। वहीं सरकारी अस्पताल की अधीक्षक सौभाग्यलक्ष्मी ने बताया कि उन्हें इस घटना के बारे में मीडिया से ही पता चला। जी दरअसल अधीक्षिका ने यह माना कि हमारे डॉक्टरों और कर्मचारियों ने कुछ गलतियां की हैं। बच्चे के जन्म के समय और आईडी नंबर में बदलाव में भी गलती की है। गलती से ब्लड सैंपल के पर्चे में यह भी लिख दिया कि यह एक बच्ची है। अगर पिता ने बच्चे के वीडियो की मांग की, तो यह हमारी गलती है कि उन्होंने वीडियो क्यों नहीं दिया गया। अस्पताल डीएनए टेस्ट के लिए भी तैयार है।

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