महिलाओं में अक्सर एनीमिया की बीमारी देखने को मिलती है भारत की करीब 50 प्रतिशत महिलाएं अनीमिया से पीड़ित हैं। अनीमिया वह बीमारी है जिसमें खून में हीमॉग्लोबिन का लेवल कम हो जाता है। इस वजह से पीरियड्स के दौरान जरूरत से ज्यादा ब्लीडिंग होने लगती है, हद से ज्यादा थकान महसूस होती है और शरीर के अलग-अलग हिस्सों में तेज दर्द होने लगता है। बात झारखंड की राजधानी रांची से 70 किलोमीटर दूर तोरपा ब्लॉक की करें तो यहां की तो 85 प्रतिशत महिलाएं ऐनमिक थीं। कुछ समय बाद इस ट्राइबल इलाके में काम करने वाले हेल्थ ऐक्टिविस्ट्स को एक आइडिया आया और उन्होंने यहां रहने वाले लोगों से लोहे की कढ़ाई में खाना बनाने के लिए कहा। इलाके के 2 हजार परिवारों को लोहे की कढ़ाई और लोहे के बर्तन में खाना बनाने की सलाह दी। इस कदम के महज 6 महीने के अंदर इन परिवारों का हीमॉग्लोबिन लेवल बढ़ गया।
ध्यान देने वाली बात ये है की इस बदलाव की वजह से इलाके की महिलाएं बताती हैं कि उनके शरीर में होने वाले दर्द में कमी आयी है, थकान भी कम लगती है, घुटने का दर्द भी कम हो गया है और मासिक धर्म से जुड़ी दिक्कतों में भी काफी सुधार हुआ है। इतना ही नहीं महिलाओं का दावा है कि उनके गैस्ट्रिक की दिक्कतें बेहतर हो गई हैं और बहुत सी महिलाएं इस बदलाव के बाद दूसरी बार मां बन पाईं।
लोहे के बर्तन में खाना बनाने से अनीमिया की समस्या में हो रहे सुधार को देखते हुए अब एनजीओ इस पहल को दूसरे जिलों में भी ले जाना चाहता है। पिछले कुछ सालों में आयरन कुकवेअर यानी खाने बनाने के लिए लोहे के बर्तनों का इस्तेमाल बढ़ गया है। गावों में ही नहीं बल्कि शहरों में भी इस ट्रेंड की वापसी हो रही है। लोहे के बर्तनों का निर्माण खासतौर पर तमिलनाडु के तेंकासी गांव में होता है जहां पिछले 300 सालों से लोहे के प्रॉडक्ट्स का निर्माण हो रहा है। लोहे के बर्तन में खाना बनाने से न सिर्फ अनीमिया की समस्या दूर होती है बल्कि दूसरे बर्तनों की तुलना में लोहे के बर्तन में खाना पकने में 15 प्रतिशत कम वक्त भी लगता है।
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