एलर्जी से कई तरह के हो सकते है कई लोग ये मानते हैं कि ठंड की शुरुआत होने के साथ ही मौसमी एलर्जी खत्म होने लगती हैं। लेकिन ये तथ्य गलत है। ठंड का मतलब ये कतई नहीं है कि पर्यावरण एलर्जी से मुक्त हो जाएगा। ठंड के दौरान होने वाली कुछ अनचाही एलर्जी के बारे में बताया है। इस प्रकार के ख़ास एलर्जी को समझना जरुरी है
पशुओं में रूसी बढ़ना
ठंड के दौरान पालतु पशुओं जैसे बिल्ली, कुत्ता और पक्षियों में रूसी हो जाती है। ठंड के कारण लोग इन पशुओं को लेकर ज्यादातर घर के अंदर ही रहते हैं। पशुओं में रूसी बढ़ने से एलर्जी के लक्षण पैदा हो जाते हैं।
सुझाव- पशुओं को अपने बेडरूम से बाहर रखें, हो सके तो उन्हें ऐसे क्षेत्र में रखें जिस क्षेत्र का इस्तेमाल कम किया जाता हो। इसके अलावा उन्हें हफ्ते में एक बार नहलाएं।
धुआं और प्रदूषण
ठंड में कुछ लोग लकड़ी और चिमनी जलाकर घर को गर्म रखने की कोशिश करते हैं। इससे निकला हानिकारक धुआं घर के पर्यावरण को दूषित कर देता है। इस धुएं से अस्थमा के लक्षण होने का खतरा बढ़ जाता है।
सुझाव- अगर आप घर में कोई लकड़ी जलाते हैं तो ध्यान रखें कि वो पुरी तरह से साफ हो। आग जलाने से पहले ध्यान रहे कि चिमनी का वो हिस्सा खुला रखें जिससे धुआं बाहर निकल सके।
धूल और कण
माइक्रोस्कोपिक एलर्जी के लक्षण- बिस्तर, गद्दे, कालीन और फर्नीचर से उड़ने वाली धूल के कारण ये एलर्जी होती है।
सुझाव- गद्दे, बॉक्स स्प्रिंग्स और तकिए पर डस्ट प्रूफ कवर बिछाएं। धूल के कणों को खत्म करने के लिए कवर को नियमित रूप से गर्म पानी से धोएं। हफ्ते में एक बार कालीन पर वैक्यूम का इस्तेमाल करें।
फफूंदी
बाथरूम और बेस्टमेंट जैसी जगहों में नमी होने से दिवारों में फफूंदी लगने का खतरा बढ़ जाता है। एयरबोर्न फफूंदी से अस्थमा के लक्षण पैदा होने के चांस बढ़ जाते हैं।
सुझाव- फफूंदी से बचने के लिए पाइपलाइन से जुड़ी समस्या जैसे पानी का लीक होने आदि को ठीक करें। नमी वाली क्षेत्रों में वेंटिलेशन को बढ़ाएं। फफूंदी वाली जगहों को पाउडर और पानी की मदद से अच्छी तरह साफ करके सुखाएं।
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