नई दिल्ली: भगवान के प्रति आस्था और अध्यात्म दोनों ही भक्तों के मन में प्रखर होते हैं। अपने सभी जरुरी काम-काज छोड़-छाड़ कर, मीलों का सफर निर्धारित करके भक्तगण तीर्थ यात्रा के दौरान भगवान के मंदिर में याचिका लगाने जाते हैं, ताकि वे अपने भक्तों की पुकार सुनकर उनके दुःख-दर्द को दूर करें। मगर कई बार यह देखने में आता है कि श्रद्धा के परदे की ओट में सेवाभाव कहीं छिप-सा जाता है, जो जाने-अनजाने में तीर्थ स्थानों की गरिमा को ठेस पहुँचाने का सबब बन पड़ता है।
तीर्थ स्थानों की दीवारों और आसपास स्थित पत्थरों और चट्टानों पर लिखे प्रेमियों के नाम, उपयोग के बाद फेंके गए कचरे आदि के ढेर, आसपास के जल स्त्रोतों में भारी तादाद में विसर्जित किए गए फूल आदि इस बात का सबूत हैं कि कहीं न कहीं दर्शनों के दौरान हम उस विशेष पवित्र स्थान को प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से ठेस पहुँचाने का काम कर रहे हैं। यदि हम में से कुछ लोग ऐसा नहीं करते हैं, तब तो ठीक है, लेकिन हम सच में इन कारणों के पनपने की वजह हैं, तो यह वास्तव में सोचने वाली बात है।
इसे गंभीरता से लेते हुए मध्य प्रदेश के गृह मंत्री, माननीय नरोत्तम मिश्रा ने देश के अपने सोशल माइक्रोब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म, कू के माध्यम से भक्तों को तीर्थ स्थानों में साफ-सफाई रखने और तीर्थ सेवा का प्रण लेने के लिए प्रोत्साहित और जागरूक करने की उम्दा कोशिश की है, जिसे हमें प्रखरता से अपनाना ही चाहिए।
एक के बाद एक दो पोस्ट्स करते हुए नरोत्तम मिश्रा ने पहली पोस्ट में कू करते हुए कहा है कि, 'साथियों, हमारे यहाँ जैसे तीर्थ-यात्रा का महत्व होता है, वैसे ही, तीर्थ-सेवा का भी महत्व बताया गया है, और मैं तो ये भी कहूँगा, तीर्थ-सेवा के बिना, तीर्थ-यात्रा भी अधूरी है।' - पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी
इसके साथ ही, एक अन्य पोस्ट के माध्यम से मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा जी ने कू करते हुए कहा है कि, 'हम जहां कही भी जाएं, इन तीर्थ क्षेत्रों की गरिमा बनी रहे। सुचिता, साफ-सफाई, एक पवित्र वातावरण हमें इसे कभी नहीं भूलना है, उसे ज़रूर बनाए रखें और इसीलिए ज़रूरी है, कि हम स्वच्छता के संकल्प को याद रखें।' - पीएम श्री नरेंद्र मोदी जी
दोनों ही पोस्ट्स से यह बात स्पष्ट होती है कि तीर्थ स्थान किसी भी धर्म के हों, उनकी गरिमा और पवित्र वातावरण को बनाए रखना न केवल हमारा कर्तव्य है, बल्कि यह एक बड़ी जिम्मेदारी भी है, जिसे विरासत के तौर पर हमें आने वाली पीढ़ियों को भी देना ही है।
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