नई दिल्ली. देश के उत्तरी राज्य ओडिशा के तट से आज सुबह ही टकराया तूफ़ान तितली ओडिशा और आंध्रप्रदेश में भयंकर तबाही मचा रहा है. इस तूफ़ान की वजह से इन राज्यों में तेज हवाएं चलने के साथ-साथ भारी बारिश भी हो रही है. इसके साथ ही कई जगहों पर भूस्खलन जैसी घटनाएं भी देखी गई है. इस तूफ़ान की वजह से तीन लाख लोगों को पहले ही उनके घरों से हटा कर सुरक्षित स्थानों तक पंहुचा दिया गया था. लेकिन क्या आप जानते है कि देश में तबाही मचाने वाले इस तूफ़ान को तितली नाम पाकिस्तान ने दिया है.
कौन तय करता है तूफ़ान का नाम
हिन्द महासागर छेत्र में आने वाले तूफानों का नाम रखने का चलन साल 2000 में शुरू हुआ था. इस दौरान इस क्षेत्र के आठ देशों के बीच 2004 में एक बैठक हुई थी जिसमे तूफानों को नाम देने के लिए एक फॉर्मूले पर सहमति बनी थी. इन आठ देशों में भारत, पाकिस्तान, श्रीलंका, मालदीव, म्यांमार, ओमान,बांग्लादेश, और थाईलैंड साहिल है .
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क्या है नामकरण का फार्मूला
2004 में इन आठ देशों के बीच हुई इस बैठक में जो फार्मूला तय किया गया था उसके मुताबिक अरब सागर, बंगाल की खाड़ी और हिंद महासागर में उत्पन्न होने वाले चक्रवातों के लिए 64 नामों की सूची बनाई गई थी. इस सूचि में प्रत्येक देश ने आठ-आठ नाम सुझाये थे. इसके बाद इस सूचि के हिसाब से नाम चुनने का जिम्मा विश्व मौसम संगठन (WMO) को सौंपा गया था.
तितली ही क्यों रखा गया नाम
विश्व मौसम संगठन (WMO) को तूफानों के नामकरण के लिए जो सूचि सौंपी गई थी, यह संगठन उसी सूचि में से हर निर्धारित छेत्र के हिसाब से एक क्रम में तूफानों को नाम देता है. और इस तूफ़ान के लिए WMO ने पकिस्तान द्वारा सुझाई गई सूचि से नाम दिया है. पाकिस्तान ने अपनी इस सूचि में तूफानों के लिए नीलम, वरदाह, तितली, फानूस, लैला और बुलबुल नाम दिए थे जिसमे से WMO ने इस तूफ़ान के लिए तितली नाम चुना था.
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