कोलकाता: पश्चिम बंगाल में एक बार फिर सियासी हिंसा के मामले तेजी से बढ़ने लगे हैं. बीरभूम में 8 लोगों को जिन्दा जलाए जाने के बाद गरमाई बंगाल की सियासत में विवादित बयानों ने भी आग में घी डालने का काम किया है. इसी क्रम में पश्चिम बर्धमान जिले के पांडवेश्वर से तृणमूल कांग्रेस (TMC) MLA नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती ने कार्यकर्ता सम्मेलन में भाजपा समर्थकों को सरेआम धमकी दे दी है.
लाउदोहा ब्लॉक के कार्यकर्ताओं के साथ बैठक में MLA ने जोर देते हुए कहा है कि कट्टर भाजपा वोटर बाहर ना निकलें. उन्होंने कहा कि जो कट्टर भाजपा समर्थक हैं उन्हें डराएं -धमकाएं, उनसे कहें कि वे लोग मतदान करने न जाए, यदि वे लोग वोट देने जाते हैं तो उसके बाद वे लोग कहां रहेंगे खुद फैसला कर लें और अगर वह लोग वोट देने नहीं जाते हैं, तो हम लोग समझेंगे कि वह हमारे समर्थन में हैं.
इस संबंध में आसनसोल के पूर्व महापौर और भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी ने कहा कि TMC विधायक यह समझ गए हैं कि भाजपा के लोग वोट देंगे तो उनकी हार निश्चित है. इसलिए उन्होंने यह धमकी दी है, यह नहीं दी होती तो अच्छा होता. वह तो अनुब्रत मंडल के शिष्य हैं और हो सकता है कि कुछ दिनों में अनुब्रत मंडल जेल में होंगे. इस तरह धमकी देते रहेंगे तो अनुब्रत मंडल को जेल में लूडो खेलने के लिए दो-तीन लोगों की आवश्यकता होगी. तो हो सकता है यह जाएंगे.
बंगाल चुनाव में भी हुई थी हिंसा :-
बता दें कि, 2021 में हुए बंगाल विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद भी राज्य में भीषण हिंसा देखने को मिली थी। उस वक़्त भी TMC द्वारा भाजपा को वोट देने वाले लोगों को चुन-चुनकर निशाना बनाया गया था, उनकी हत्याएं हुईं थी और महिलाओं के बलात्कार किए गए थे। इस दहशत से सैकड़ों भाजपा समर्थकों ने भागकर पड़ोसी राज्यों में शरण ली थी। लेकिन पुलिस-प्रशासन द्वारा उन्हें कोई मदद नहीं मिली। ऐसे में सवाल यह उठता है कि, जब लोकतंत्र में हर एक इंसान को अपनी सरकार चुनने का हक़ है, तो बंगाल में इस तरह डरा-धमकाकर वोट लेने पर सुप्रीम कोर्ट, चुनाव आयोग या केंद्र सरकार कोई संज्ञान क्यों नहीं लेते ?
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