नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार को दूसरे दिन भी आधार की अनिवार्यता मामले में सुनवाई हुई जिसमें याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने तीन मुद्दे आधार बनाने की प्रक्रिया की सम्पूर्णता, सूचनाओं की गोपनीयता और मौलिक अधिकारों के उल्लंघन को उठाया.
इस बीच सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने याचिकाकर्ता से सवाल किया कि सरकार के साथ अपने पते के प्रमाण को शेयर करने में उन्हें क्या परेशानी है, जबकि उन्हें प्राइवेट पार्टियों को जानकारी शेयर करने में कोई परेशानी नहीं है. जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, इंश्योरेंस, नौकरी,फोन कनेक्शन आदि के लिए प्राइवेट कंपनी आपसे एड्रेस प्रूफ मांगती है,आपका वेतन भी प्राइवेट बैंक में जमा होता है तो आपको कोई परेशानी नहीं. लेकिन सरकार मांगती है तो ये आपकी पहचान से जुड़ जाता है. वहीं जस्टिस एके सीकरी ने कहा, 'आपकी दलील ऐसी लगती है कि अगर मैं अपना पासबुक उन्हें दूंगा, तो वे मेरी बैंक निकासी जानना चाहेंगे. मुझे नहीं लगता कि ये कोई मामला है.
बता दें कि इसके जवाब में श्याम दीवान ने कहा कि एक जानी पहचानी प्राइवेट पार्टी और एक अनजानी प्राइवेट कंपनी के साथ जानकारी साझा करने में अंतर है. उन्होंने कहा, सवाल ये है कि क्या सरकार एक प्राइवेट पार्टी को जानकारी देने के लिए लोगों को मजबूर कर सकती है ? दीवान ने 10 अप्रैल 2017 को दिए गए सरकार के बयान का हवाला देते हुए कहा कि पिछले 6 सालों में सरकार ने 34 हजार ऑपरेटरों को ब्लैकलिस्ट और कैंसिल किया है, जिन्होंने सिस्टम से छेड़छाड़ की कोशिश की. इस पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा कि कोर्ट यह जानना चाहेगा कि यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने पर्सनल डाटा को सुरक्षित रखने के लिए क्या उपाय किए हैं.अब इस मामले की अगली सुनवाई मंगलवार को होगी.
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