हिन्दू धर्म में पाप और पुण्य के बारे में बहुत सी बातें बताई गई हैं, वैसे तो हर इंसान यही चाहता है कि वह हमेशा पुण्य का ही भागीदार रहे। लेकिन जीवन में हम अन्जाने में बहुत से ऐसे कार्य भी कर बैठते हैं, जो हमें पाप का भागीदार बनाते हैं। यहां पर आज हम आपसे इन्ही पापों से मुक्ति पाने के लिए कुछ ऐसे ही उपाय बताने जा रहे हैं, जिसे करने के बाद आप भी अपने जीवन में पाप से मुक्ति पा सकते हैं। दरअसल आप इन पापों से मुक्ति पाने के लिए भोजन का सहारा ले सकते हैं। जी हां हमारे आस-पास ऐसे बहुत से लोग हैं, जिन्हे भोजन कराने मात्र से आप इन पापों से मुक्ति पा सकते हैं।
विष्णु पुराण में श्लोक-
ततः स्ववासिनीदुः खिगर्भिणीवृद्धबालकान्।
भोजयेत्संस्कृतान्नेन प्रथमं चरमं गृही।।
1. इस श्लोक के अनुसार हमें सबसे पहले घर में विवाहित पुत्री को खाना खिलाना चाहिए। अर्थात अगर शादी के बाद लड़की अपने पिता के घर आती है, तो उसे हमें सबसे पहले खाना खिलाना चाहिए।
2. किसी दुखी इंसान को भोजन करवाना चाहिए। ऐसा करने पर घर की परेशानियां खत्म हो जाती है और घर में शांति बनी रहती है।
3. विष्णु पुराण में बताया गया है कि खुद भोजन करने से पहले गर्भवती महिला को भोजन देना चाहिए।
4. बालक को भी खुद से पहले भोजन देना आवश्यक माना जाता है। बच्चे भूख पर नियंत्रण नहीं कर पाते हैं। इसीलिए बच्चों को पहले भोजन देना चाहिए।
5. खुद भोजन करने पहले घर के वृद्ध को भोजन देना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इससे घर में किसी तरह की परेशानी नहीं रहती है।
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