हमारे हिन्दू सभ्यता और धार्मिक ग्रंथों व पुराणों के मुताबिक व्यक्ति केवल अपने शरीर का त्याग करता है उसकी आत्मा अमर होती है जो कभी नहीं मरती है । इसके अलावा वह एक शरीर को छोड़कर दूसरा शरीर धारण कर लेती है। इसके साथ ही अब आप सोच रहे होंगें की यदि व्यक्ति की आत्मा अमर होती है तो उसे अपने बीते जन्म के विषय में कुछ भी याद क्यों नहीं रहता वह सब कुछ क्यों भूल जाता है।
वही इंसान भूल जाता है पिछला जन्म:व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसका अंतिम संस्कार करते समय कपाल क्रिया को विशेष माना जाता है इसके अलावा यह क्रिया शव को मुखाग्नि देने के पश्चात जब शव का ज्यादातर भाग अग्नि में जल जाता है उस समय एक बांस को बीच से थोड़ा फाड़कर उसमे एक लोटा बाँध दिया जाता है।
अब उस बांस में बंधे लोटे में घी को डालकर चिता की परिक्रमा की जाती है जब परिक्रमा पूर्ण हो जाती है तब उस लोटे में रखे घी को शव के सिर पर डालकर उस बांस की सहायता से उस शव के सिर को तोड़ दिया जाता है।कपाल क्रिया करने का मुख्य कारण यह होता है की व्यक्ति के सिर का भाग ज्यादा कठोर होता है जिसे कपाल क्रिया के माध्यम से तोड़ दिया जाता है जिससे की वह भाग पूर्ण रूप से भस्म हो जाए।ऐसा माना जाता है की यदि व्यक्ति के सिर का भाग यदि जलने से बच जाता है तो इससे व्यक्ति के दिमाग में अपने पिछले जन्म की याद रह जाती है जिसके कारण उसे कई प्रकार के दुखों का सामना करना पड़ता है।
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