रिश्तों को मजबूत बनाने के लिए उसकी नींव सच पर रखी जाती है, हम अपने पार्टनर को खुद से जुडी बातों को बताना जरुरी समझते है. कई लोग ऐसे होते है जो ये काम शादी से पहले करते है तो कुछ शादी के बाद. मगर क्या बेवजह खुद का अतीत बताना बेवकूफी है.
ये भी हो सकता है जो बात आपको जरूरी लगे वह आपके पार्टनर को बेतुकी लगे. एक बात यह भी है कि एक दूसरे के जीवन से जुडी बातों को बताने से अपने साथी को समझने में आसानी होती है. यदि आप ऐसी किसी बीमारी से उबरे है जिसका भविष्य से कोई लेना देना नहीं है तो पार्टनर को बताना जरूरी नहीं है. यदि आपका पार्टनर जानने की इच्छा जाहिर करे तो उन्हें बता दे. यदि आपके साथ किसी ने बुरा व्यवहार किया है और उन यादों से छुटकारा चाहते है तो उन घटनाओ के बारे में बोलना बंद कर दे. ऐसी बातें दोहराने से सिर्फ रिश्ता टूटता ही है.
किसी का परिवार परफेक्ट नहीं होता, हर परिवार में कोई झगड़ालू, ड्रामेबाज, हंसमुख व्यक्ति होता है. परिवार के नकारात्मक किस्से यदि अपने पार्टनर को सुनाएगे तो वह जल्दी आपके परिवार से ऊब सकता है. यदि आपका पार्टनर आपसे पूर्व के फिजिकल रिलेशन के बारे में पूछे तब इसका जवाब एक या दो वाक्य में देकर समाप्त कर दे.
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