नई दिल्ली: किसानों का आंदोलन दिल्ली की ओर बढ़ा रहा है। सोमवार, 2 दिसंबर को हजारों किसान संयुक्त किसान मोर्चा के नेतृत्व में दिल्ली कूच करेंगे। यह फैसला रविवार को नोएडा में किसानों और प्रशासन के बीच हुई हाई-लेवल बैठक के विफल होने के बाद लिया गया। किसान लंबे समय से जमीन अधिग्रहण, मुआवजे और अन्य मुद्दों पर समाधान की मांग कर रहे हैं।
किसानों की प्रमुख मांगें हैं कि उन्हें भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के तहत मुआवजा दिया जाए और अधिग्रहित जमीन के बदले 10% विकसित प्लॉट दिए जाएं। साथ ही, भूमिहीन और भूमिधर किसानों के बच्चों को रोजगार, पुनर्विकास के लाभ और आबादी क्षेत्र का उचित समाधान मिले। पिछले कुछ दिनों में किसानों ने नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना प्राधिकरण के बाहर प्रदर्शन किए और महापंचायतें कीं, लेकिन प्रशासन से कोई ठोस आश्वासन नहीं मिला। अब किसानों ने संसद सत्र के दौरान दिल्ली में प्रदर्शन करने का फैसला किया है।
नोएडा और दिल्ली पुलिस ने आंदोलन को देखते हुए कड़े इंतजाम किए हैं। बॉर्डर पर बैरिकेड लगाए गए हैं और कई किसान नेताओं को नजरबंद किया गया है। दिल्ली कूच के लिए किसान सोमवार को दोपहर 12 बजे से नोएडा के महामाया फ्लाईओवर के पास जुटेंगे और ट्रैक्टरों के साथ दिल्ली की ओर बढ़ेंगे। इस मार्च में गौतमबुद्ध नगर, बुलंदशहर, अलीगढ़, आगरा सहित 20 जिलों के किसान शामिल हो रहे हैं।
किसान अन्य मुद्दों जैसे ऋण माफी, बिजली दरों में स्थिरता, लखीमपुर खीरी हिंसा के पीड़ितों को न्याय, पुलिस मामलों की वापसी, और शहीद किसानों के परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग कर रहे हैं। किसानों का यह आंदोलन अब निर्णायक चरण में पहुंच चुका है।
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