पीएम नरेंद्र मोदी बांग्लादेश की स्वतंत्रता के 50वें वर्ष के मौके पर आज से ढाका के दो दिवसीय दौरे पर हैं। अपने दौरे से पहले प्रधानमंत्री मोदी ने बांग्लादेश के अंग्रेजी अखबार ‘द डेली स्टार’ में देश की स्वतंत्रता का जिक्र करते हुए बांग्लादेश के राष्ट्रपिता ‘बंगबंधु’ शेख मुजीबुर रहमान के सपनों तथा दोनों देशों के रिश्तों के भविष्य को लेकर अपने पक्ष रखे हैं। पीएम मोदी ने लिखा है कि अगस्त 1975 की काली सुबह बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान तथा उनके परिवार के सदस्यों का बेरहमी से क़त्ल कर दिया गया था। उनके हत्यारे बांग्लादेश की स्वतंत्रता का बदला लेना चाहते थे, जिसके लिए बंगबंधु ने जबरदस्त संघर्ष किया। वे व्यक्ति बंगबंधु के सपनों के सहयोगात्मक, शांतिपूर्ण उपमहाद्वीप बनाने के सपने को भी समाप्त करना चाहते थे।
पीएम मोदी ने लिखा है, बंगबंधु का जीवन संघर्षों की एक कहानी थी। दमन एवं क्रूरता का सामना करते हुए वे निडर होकर डटे रहे। बंगमाता शेख फजीलातनेसा उनके ताकत का स्रोत थीं। हालांकि, हम उनके ‘अधूरे संस्मरण’ से सीखते हैं कि उनके बार-बार जेल जाने से परिवार पर आने वाली समस्याओं तथा दर्द का उन्होंने जिक्र किया था। बंगबंधु ने सरल सा उत्तर दिया था कि उनके पास कोई विकल्प नहीं है।” प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा है कि अपने कर्तव्यों के लिए उनके निर्भीक समर्पण तथा सभी प्रकार के यातनाओं के बड़ा भी, बंगबंधु ने त्याग का जो साहस पाया वो सच्ची महानता का एक प्रतीक है।
उन्होंने लिखा, “निष्पक्षता, समानता तथा समानवेशन को लेकर उनकी प्रगतिशील सोच 1950 के दशक में लिखी उनकी इन बातों में नजर आती है, “मैं कम से कम इतना जानता हूं: किसी का भी इसलिए क़त्ल नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि वह मेरे से अलग विचार रखता है।” पीएम ने लिखा है कि यह उनके अपने गहरे आदर्शों तथा दूसरे विचारों को स्वीकार करने के लिए खुली सोच का बहुत ही दुर्लभ मिश्रण था, जो बंगबंधु को हमारे वक़्त के महानतम राजनीतिज्ञों में एक बनाया।
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