रमजान का पाक महीना चल रहा है. ऐसे में आज रमजान का पहला जुमा है. जी हाँ, आज रमजान का पहला शुक्रवार है. रमजान में आने वाले हर जुमे की खास अहमियत होती है लेकिन पहले जुमे की कुरान में खास अहमियत बताई गई है. आप सभी को बता दें कि इस समय कोरोना ने मस्जिदों में नमाज पढ़ने पर पाबंदी लगा दी है लेकिन सभी अपने घरों में नमाज अदा कर रहे हैं. वहीं मुस्लिम धर्मगुरुओं ने लोगों से लॉकडाउन के नियमों का पालन कर और घर पर ही रहकर जुमे की नमाज पढ़ने की अपील की है, क्योंकि ये वायरस एक-दूसरे के संपर्क में आने से और संक्रमित व्यक्ति के ड्रॉप्लेट्स से फैलता है. इस कारण से डब्ल्यूएचओ ने मुसलमानों को खासतौर पर हिदायत दी है कि वो रमजान में भी सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें और एक-दूसरे से कम से कम एक मीटर की दुरी बनाए रखें.
रमजान में जुमे की अहमियत- आप सभी को बता दें कि इस्लामिक संस्कृति और परंपराओं को माना जाए तो रमजान का हर जुमा खास होता है. जी दरअसल इस्लाम में रमजान माह को तीन हिस्सों में बांटा गया है- रहमत, मगफिरत और निजात का आशरा है. आप सभी को बता दें कि एक मई को रहमत का आशरा है और बाकी के जुमे मगफिरत व निजात के आशरा में पड़ेंगे. ऐसे तो हर जुमे को छोटी ईद कहते हैं और कुरान के 28 वे पारे में मौजूद सुरेह जुमा में जुमे की अहमियत के बारे में खासतौर पर बताया गया है. जी दरअसल इसमें कहा गया है कि जुमे की नमाज के लिए अपने सारे काम छोड़ दो और अल्लाह की बारगाह में सर झुकाओ.
आप सभी को यह भी बता दें कि जुमे की नमाज से पहले नमाज में कुदबे की खास अहमियत है और लोग कुदबा सुनने जुमे के दिन समय से पहले मस्जिद में दाखिल होते हैं. जी दरअसल कुदबा में हदीस शरीफ का बयान सुनाया जाता है और मुसलमानों को जिंदगी कैसे और किस तरह गुजारनी चाहिए, उसके बारे में बताया जाता है. वहीं मोहम्मद साहब ने कहा है कि ''दिनों में सबसे अच्छा दिन शुक्रवार यानि जुमे का है. यही वो दिन है, जब आदम को बनाया गया था और उन्हें जन्नत में दाखिल किया गया था.'' जी दरस; जुमे के दिन उन्हें जन्नत से निकाला भी गया था और आखिर में जुमे के दिन ही हमारे कर्मों का हिसाब-किताब भी होगा, ऐसा भी माना जाता है. सुन्नी मुसलमानों के लिए इस दिन की खास अहमियत बताई जाती है.
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