नई दिल्ली: दिल्ली में विधानसभा चुनाव का माहौल गर्माता जा रहा है। आम आदमी पार्टी (AAP), बीजेपी और कांग्रेस सहित सभी प्रमुख राजनीतिक दल प्रचार में जुट चुके हैं। AAP ने अपने सभी उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है, जबकि कांग्रेस ने 20 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है। बीजेपी की सूची भी जल्द ही जारी होने की संभावना है।
इस बीच, AAP सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल लगातार नई-नई घोषणाएं कर रहे हैं। उन्होंने जनता से वादा किया है कि सत्ता में लौटने पर वे अपने सभी वादों को पूरा करेंगे। हाल ही में केजरीवाल ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर लिखा, "आज 12.30 बजे एक बड़ी घोषणा करूंगा। दिल्ली के लोग बहुत खुश होंगे।" महिला सम्मान योजना और संजीवनी योजना को लेकर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया शुरू हो गई है। अरविंद केजरीवाल ने स्वयं जंगपुरा इलाके में जाकर महिलाओं और बुजुर्गों का रजिस्ट्रेशन किया। उन्होंने इस दौरान कहा कि दिल्ली के बुजुर्ग उनके लिए माता-पिता समान हैं और उनका इलाज कराना सरकार की जिम्मेदारी है। उन्होंने यह भी कहा कि कार्यकर्ता घर-घर जाकर रजिस्ट्रेशन करेंगे ताकि कोई भी पात्र व्यक्ति छूट न जाए।
महिला सम्मान योजना के तहत हर महिला को 2100 रुपये प्रति माह देने का वादा किया गया है, लेकिन इसके लिए दिल्ली की वोटर लिस्ट में नाम होना अनिवार्य है। इसी बीच केजरीवाल ने एक महिला का उदाहरण देते हुए बताया कि उनका नाम वोटर लिस्ट से कट गया था, जिसे फिर से जोड़ा जाएगा। उन्होंने सभी महिलाओं से अपने वोटर ID चेक करने की अपील की।
हालांकि, चुनावी माहौल में केजरीवाल की लगातार घोषणाएं चर्चा का विषय बनी हुई हैं। सवाल यह है कि क्या ये घोषणाएं उन्हें दोबारा सत्ता में ला पाएंगी? गौरतलब है कि AAP सरकार के कुछ पुराने वादे आज भी अधूरे हैं। उदाहरण के लिए, यमुना को साफ करने का वादा। केजरीवाल ने कहा था कि अगले साल तक यमुना इतनी साफ होगी कि वे खुद उसमें डुबकी लगाएंगे। लेकिन न तो यमुना साफ हुई और न ही केजरीवाल ने डुबकी लगाई।
दिल्ली की अन्य शाश्वत समस्याओं पर भी सवाल उठ रहे हैं। हर गर्मी में पानी की किल्लत एक बड़ी समस्या बन जाती है। एक राष्ट्रीय राजधानी के लिए यह बेहद शर्मनाक है कि वह अपने निवासियों को पर्याप्त पेयजल भी उपलब्ध नहीं करा पाती। वहीं, सर्दियों में दिल्ली की हवा जहरीली हो जाती है, जिससे वायु गुणवत्ता बेहद खराब स्तर पर पहुंच जाती है।
इन स्थायी समस्याओं के समाधान के बिना नई योजनाओं और घोषणाओं की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े हो रहे हैं। दिल्ली की जनता के सामने अब यह सवाल है कि वह चुनाव में किस आधार पर मतदान करेगी—नई घोषणाओं पर या पुराने वादों के अधूरे रहने पर? दिल्ली का चुनावी माहौल पूरी तरह से गरमा चुका है। अब देखना यह है कि जनता किसे अपना समर्थन देती है और क्या अरविंद केजरीवाल की घोषणाएं एक बार फिर से उन्हें सत्ता में वापस ला पाएंगी या नहीं।