नई दिल्ली: बुधवार (28 अगस्त, 2024) को प्रधानमंत्री जनधन योजना (PMJDY) के 10 साल पूरे हो गए हैं। देश के प्रत्येक परिवार में एक बैंक खाता खोलने के उद्देश्य से आरम्भ की गई इस योजना ने अपने लक्ष्य से भी आगे निकलकर आम नागरिकों तक वित्तीय सेवाएँ पहुँचाने के साथ ही बैंकों की सेहत सुधारने में भी बड़ा योगदान दिया है। इसके चलते कई स्तर पर होने वाला भ्रष्टाचार भी कम हुआ है तथा सरकार सीधे जनता तक पहुँची है। प्रधानमंत्री मोदी ने इस योजना के 10 वर्ष पूरे होने पर इसके लाभार्थियों को बधाई दी है।
प्रधानमंत्री मोदी ने एक्स (पहले ट्विटर) पर लिखा, “आज देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। इस अवसर पर मैं सभी लाभार्थियों को शुभकामनाएँ देता हूँ। इस योजना को सफल बनाने के लिए दिन-रात एक करने वाले सभी लोगों को भी बहुत-बहुत बधाई। जन धन योजना करोड़ों देशवासियों, विशेषकर हमारे गरीब भाई-बहनों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने और उन्हें सम्मान के साथ जीवन जीने का अवसर देने में सफल रही है।”
आज देश के लिए एक ऐतिहासिक दिन है- #10YearsOfJanDhan. इस अवसर पर मैं सभी लाभार्थियों को शुभकामनाएं देता हूं। इस योजना को सफल बनाने के लिए दिन-रात एक करने वाले सभी लोगों को भी बहुत-बहुत बधाई। जन धन योजना करोड़ों देशवासियों, विशेषकर हमारे गरीब भाई-बहनों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने… pic.twitter.com/e0vwfaQwkX
— Narendra Modi (@narendramodi) August 28, 2024
PMJDY ने 10 सालों में कई सफलताएं हासिल की हैं। चाहे देश की तकरीबन 50 करोड़ आबादी को बैंक खाते उपलब्ध करवाना हो या फिर लगभग 36 करोड़ लोगों को एटीएम कार्ड उपलब्ध करवाना हो, इस योजना की वजह से देश में वित्तीय क्रांति आई है। PMJDY के आरम्भ होने से पहले देश की लगभग 60%-70% आबादी के पास बैंकिंग सुविधा नहीं थी। इस योजना की वजह से उन्हें आर्थिक आजादी प्राप्त हुई है।
क्यों लाई गई PMJDY?
प्रधानमंत्री मोदी को पता था कि जब तक सरकारी सहायता लोगों तक सीधे नहीं पहुँचेगी, तब तक भ्रष्टाचार कम नहीं होगा तथा मदद सीधे पहुँचे, इसके लिए लोगों के पास बैंक खाते होना जरूरी थे। देश की स्वतंत्रता के लगभग 7 दशक पूरे होने और बैंकों के राष्ट्रीयकरण के बाद भी एक बड़ी आबादी के पास बैंक सुविधाओं का एक्सेस नहीं था। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2011 तक भारत की तकरीबन 70% आबादी बैंक खाते की सुविधा से वंचित थी।
देश की बड़ी आबादी केवल इसलिए खाता नहीं खोल पा रही थी क्योंकि उनके पास उसमें जमा करने के लिए न्यूनतम राशि भी नहीं थी। यह इस राह में सबसे बड़ा रोड़ा था। जब देश में लोगों के पास खाते नहीं थे, तो एटीएम जैसी सुविधाओं की बात ही छोड़ दी जाए। इस मामले में हमारा देश अन्य विकासशील देशों से काफी पीछे था।
जानिए कौन है सतीश कुमार? जो बने रेलवे बोर्ड के पहले दलित CEO
अरुणाचल प्रदेश में बड़ा हादसा, 3 जवान हुए शहीद
शर्मनाक! गुजरात में 3 वर्षीय मासूम के साथ दरिंदगी, थाने पहुंचकर लोगों ने मचाया हंगामा