आज राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के कद्दावर नेता अशोक गहलोत का जन्मदिन है. राजस्थान के दिग्गज नेताओं में शुमार अशोक गहलोत ऐसे शख्सियत हैं जो अपनी सादगी और मृदुल स्वभाव से किसी को भी अपनी ओर खिंच लेते हैं. कांग्रेस के बड़े नेता के रूप में स्थापित अशोक गहलोत का जन्म 3 मई 1951 को राजस्थान के जोधपुर जिले में हुआ . उन्होंने विज्ञान और कानून में स्नातक की पढ़ाई की. इसके बाद अर्थशास्त्र में मास्टर डिग्री किया. 27 नवम्बर, 1977 को 28 वर्ष की आयु में गहलोत का विवाह सुनीता गहलोत के साथ हुआ.
उनके परिवार में पत्नी के अतिरिक्त एक पुत्र (वैभव गहलोत) और एक पुत्री (सोनिया गहलोत) हैं. अशोक गहलोत विद्यार्थी जीवन से ही राजनीति से जुड़े रहे. सातवीं लोकसभा चुनाव(1980) में पहली बार जोधपुर संसदीय क्षेत्र से सांसद चुने गए. गहलोत की करिश्माई नेतृत्व और जनसेवा से खुश होकर जनता ने उन्हें 8वीं लोकसभा चनाव में भी इसी क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करने का मौका दिया. गहलोत के व्यक्तित्व का ही यह कमाल है कि वह यहां से लगातार 10वीं, 11वीं, और 12वीं लोकसभा के भी चुनाव जीते. इसके बाद वे केंद्र से राज्य की राजनीति में आ गए. साल 1999 में 11वीं राजस्थान विधानसभा के लिए सरदारपुरा (जोधपुर) से गहलोत को विधायक चुना गया. इसी विधानसभा क्षेत्र से जीतकर वर्ष 2003 में जयपुर गए. पांच साल बाद 2008 में गहलोत ने तीसरी बार सरदारपुरा विधानसभा से जीत का परचम लहराया.
अशोक गहलोत कांग्रेस के ऐसे नेता हैं जो इंदरा से लेकर राहुल गांधी तक कांग्रेस के श्रेष्ठ नेतृत्व के साथ काम किया. वे पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी,राजीव गांधी और पी.वी.नरसिम्हा राव के मंत्रीमण्डल में केन्द्रीय मंत्री के रूप में सेवाएं दे चुके हैं. वे तीन बार केन्द्रीय मंत्री बने. केंद्र से राज्य की राजनीति में आने के बाद जून 1989 से नवम्बर, 1989 की अल्प अवधि के बीच गहलोत राजस्थान सरकार में गृह और जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के मंत्री रहे. साल 1998 में पहली बार पांच सालों के लिए अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री बने. फिर 2008 में भी कांग्रेस पार्टी ने गहलोत का मुख्यमंत्री बनाया.
पर्यटन और समाज सेवा में रूचि के चलते गेहलोत ने साल 1971 में बांग्लादेश युद्ध के दौरान पश्चिम बंगाल के बंगांव और 24 परगना जिलों में स्थापित शरणार्थी शिविरों में काम किया. इसके अलावा वे तरूण शान्ति सेना के माध्यम से सेवाग्राम, वर्धा, औरंगाबाद और इन्दौर सहित कई जगहों पर स्थापित शिविरों में सक्रिय रूप से कार्य किया. उन्हें फिजूलखर्ची से सख्त परहेज है. सादगी से जीवन जीने वाले गेहलोत विपक्ष से भी सम्मान हासिल करेने का माद्दा रखते है .
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