चैत्र नवरात्रि का 22 मार्च से शुंभारंभ हो गया है। वही आज चैत्र नवरात्र का छठा दिन है, इस दिन देवी कात्यायनी की पूजा की जाती है। देवी कात्यायनी हिंदू धर्म में एक प्रसिद्ध देवी हैं। वह माँ दुर्गा की एक रूप हैं तथा नवरात्रि के दौरान पूजा की जाती हैं। कात्यायनी देवी का जन्म महाभारत काल में हुआ था। उनके जन्म की कहानी बहुत प्रसिद्ध है। अनुसूया रानी के तप से दत्तात्रेय जी ने अपने तीन पुत्रों को जन्म दिया था। तब देवी ने भी अनुसूया रानी के तप से एक बेटी के रूप में जन्म लिया था, जिन्हें वे कात्यायनी कहते थे।
मां कात्यायनी पूजा विधि:-
नवरात्रि पर्व के छठे दिन सबसे पहले स्नान-ध्यान के पश्चात् कलश पूजा करें एवं इसके बाद मां दुर्गा की और माता कात्यायनी की पूजा करें। पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प अवश्य लें। तत्पश्चात, वह फूल मां को अर्पित करें। फिर कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार माता को अर्पित करें। उसके बाद उनके प्रिय भोग शहद को अर्पित करें और मिठाई इत्यादि का भी भोग लगाएं। फिर जल चढ़ाएं एवं घी के दीपक जलाकर माता की आरती करें। आरती से पहले दुर्गा चालीसा व दुर्गा सप्तशती का पाठ करना ना भूले।
करें इन मंत्रों का जाप:-
1. या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: ।।
2. चंद्रहासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना ।
कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि ।।
माता कात्यायनी की आरती:-
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जग माता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
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