दुनिया पर जो जन्म लेता है, उसकी मौत निश्चित होती है क्योंकि यही ईश्वर की बनाई दुनिया का विधान है। जन्म के पश्चात् मृत्यु से क्या आम आदमी, खुद ईश्वर तक नहीं बच पाए। उन्हें भी किसी न किसी बहाने से अपना शरीर त्याग कर परलोक जाना पड़ा है। प्रभु श्री राम-कृष्ण से लेकर विभिन्न दैवीय आत्माओं को एक निश्चित वक़्त पर दुनिया पर अपने शरीर को छोड़ना पड़ा है। परम्परा है कि मनुष्य की जब जीवनलीला ख़त्म हो जाती है तो यमलोक जाने पर ईश्वर चित्रगुप्त उसके कर्मों का लेखा-जोखा उसके सामने रखते हैं तथा उसी के मुताबिक, उसे आगे स्वर्ग या नर्क लोक की अगली यात्रा तय होती है। परम्परा है कि भगवान चित्रगुप्त किसी भी मनुष्य के पृथ्वी पर जन्म लेने से लेकर मृत्यु तक उसके कर्मों को अपने पुस्तक में लिखते रहते हैं।
कौन हैं भगवान चित्रगुप्त:-
भगवान चित्रगुप्त परमपिता ब्रह्मा जी के अंश से उत्पन्न हुए है। परम्परा है कि ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना की तथा इसके लिए देव-असुर, गंधर्व, अप्सरा, स्त्री-पुरुष, पशु-पक्षी आदि को जन्म दिया तो उसी क्रम में यमराज का भी जन्म हुआ। जिन्हें धर्मराज बोला जाता है, क्योंकि वे धर्म के मुताबिक ही मनुष्यों को उनके कर्म का फल देते हैं। यमराज ने इस बड़े कार्य के लिए जब ब्रह्मा जी से एक सहयोगी की मांग की तो ब्रह्मा जी ध्यानलीन हो गए तथा एक हजार साल की तपस्या के पश्चात् एक पुरुष उत्पन्न हुआ, जिसे भगवान चंद्रगुप्त के नाम से जाना गया। क्योकि इस पुरुष का जन्म ब्रह्मा जी की काया हुआ था, अतः इन्हें कायस्थ भी बोला जाता है। यम द्वितीया के दिन यम एवं यमुना की पूजा के साथ भगवान चित्रगुप्त जी की भी खास पूजा की जाती है क्योंकि भगवान चित्रगुप्त यमदेव के सहायक हैं।
चित्रगुप्त भगवान की पूजा का महत्व:-
कारोबार से संबंधित व्यक्तियों के लिए चित्रगुप्त की पूजा की बेहद अहमियत होती है। इस दिन नए बहीखातों पर ‘श्री’ लिखकर कार्य की शुरुआत की जाती है। इसके पीछे परम्परा है कि व्यापारी अपने कारोबार से संबंधित आय-व्यय का ब्योरा भगवान चित्रगुप्त जी के सामने रखते हैं तथा उनसे कारोबार में आर्थिक उन्नति का आशीर्वाद मांगते हैं। भगवान चित्रगुप्त की पूजा में लेखनी-दवात की बेहद अहमियत है।
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