कोच्ची: केरल का कलाडी में आदि गुरु शंकराचार्य की जन्मस्थली है। आज गुरुवारर (1 सितंबर) को पीएम मोदी इस पुण्य धरा पर आने वाले हैं। कोच्चि हवाई अड्डे से ‘आदि शंकर जन्म भूमि क्षेत्रम्’ पहुँचने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कार्यक्रम है। कलाडी में आज भी वो मंदिर मौजूद हैं, जहाँ सदियों पहले शंकराचार्य की माँ पूजा किया करती थीं। उसी स्थान पर आज श्रृंगेरी मठ है। इस स्थान का नाम कलाडी होने के पीछे भी एक प्राचीन कहानी है।
कलाडी नाम की कथा:-
बताया जाता है कि पहले पेरियार नदी गाँव से कुछ दूरी पर बहा करती थी। एक दिन शंकराचार्य की माँ नदी की ओर जाते समय बेहोश हो गईं। इसके बाद शंकराचार्य ने भगवान श्रीकृष्ण से प्रार्थना की, जिसके बाद श्रीकृष्ण ने उन्हें आशीर्वाद दिया कि नदी उनके पदचिह्नों का अनुसरण करेगी। इसके बाद शंकराचार्य चलते हुए पेरियार नदी को गाँव के काफी नजदीक ले आए। कलाडी का हिंदी में अर्थ पदचिह्न ही होता है। इसी स्थान पर ‘आर्यम्बा का वृन्दावन’, अर्थात शंकराचार्य की माँ की समाधि भी मौजूद है। यहाँ स्थित सदियों पुराने श्रीकृष्ण मंदिर में जगद्गुरु के माता-पिता पूजा करते थे।
कलाडी कांची कामकोटि पीठम द्वारा यहाँ एक सुंदर कीर्ति स्तंभ का निर्माण कराया गया है। कलाडी के मणिकमंगलम कार्त्यायनी मंदिर में शंकराचार्य के पिता पुजारी थे। संस्कृत पर रिसर्च करने के लिए यहाँ एक विश्वविद्यालय भी बना हुआ है। वहीं, बेलूर के रामकृष्ण मठ की एक शाखा भी श्रृंगेरी के नजदीक ही मौजूद है। आज अपने दौरे के दौरान पीएम मोदी यहाँ एक वेद पाठशाला का शिलान्यास भी करेंगे। बता दें कि हजार वर्षों तक आदि शंकराचार्य की जन्मभूमि अस्पष्ट थी, मगर सन् 1910 में सच्चिदानंद शिवभिवामा नरसिंह भारती (श्रृंगेरी मठ के 33वें उत्तराधिकारी) और त्रावणकोर के महाराजा मूलम थिरुन्नाल रामा वर्मा ने इसे खोज निकाला।
Upon reaching the dynamic city of Kochi, I will address a public meeting. After that I will have the honour of visiting Sri Adi Shankara Janma Bhoomi Kshetram at Kalady village. In the evening, will inaugurate and lay the foundation stone of metro and rail related works in Kochi.
— Narendra Modi (@narendramodi) September 1, 2022
जिसके बाद 1927 में चंद्रशेखर भारती ने यहाँ वेदांत पाठशाला स्थापित की। 1991 में शंकराचार्य विश्वविद्यालय का निर्माण किया गया। पीएम मोदी का प्रयास यही है कि आदि शंकराचार्य को भारत की सांस्कृतिक एकता के प्रतीक के रूप में पेश किया जाए। क्योंकि, शंकराचार्य ने राष्ट्र एवं हिन्दुओं को एक किया था। बता दें कि प्रधानमंत्री ने केदारनाथ में भी शंकराचार्य की प्रतिमा का अनावरण किया था। मध्य प्रदेश के ओंकारेश्वर में भी जगद्गुरु की 108 फुट ऊँची प्रतिमा बन रही है। इसके साथ ही प्रधानमंत्री कोच्चि को मेट्रो की नई लाइन की सौगात भी देंगे।
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