नई दिल्ली: राज्यसभा में आज सुबह 11 बजे से संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर विशेष चर्चा की शुरुआत होगी। यह चर्चा दो दिनों तक चलेगी। चर्चा की शुरुआत बीजेपी की ओर से वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी। पहले यह जिम्मेदारी बीजेपी अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री जेपी नड्डा को दी गई थी, लेकिन केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के छत्तीसगढ़ दौरे के कारण कार्यक्रम में संशोधन करना पड़ा।
चर्चा के पहले दिन निर्मला सीतारमण अपनी बात रखेंगी, जबकि मंगलवार को बीजेपी अध्यक्ष और स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा चर्चा में हस्तक्षेप करेंगे। समापन भाषण केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव देंगे। इसके अलावा, बीजेपी की ओर से हरदीप पुरी, सुधांशु त्रिवेदी, सुरेंद्र नागर, घनश्याम तिवारी और बृजलाल भी अपनी बात रखेंगे। दूसरी तरफ, कांग्रेस की ओर से पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, मुकुल वासनिक और अभिषेक मनु सिंघवी संविधान पर अपनी राय रखेंगे। माना जा रहा है कि चर्चा के दौरान विपक्ष सभापति जगदीप धनखड़ के खिलाफ अपने आक्रामक तेवर दिखा सकता है।
बीजेपी ने अपने सभी राज्यसभा सांसदों को दोनों दिन सदन में उपस्थित रहने के लिए व्हिप जारी कर दिया है। इस चर्चा को लेकर सत्तारूढ़ और विपक्षी दोनों खेमों में गहमागहमी है। पिछले हफ्ते लोकसभा में संविधान के 75 साल पूरे होने पर जोरदार बहस हुई थी, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखे आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले। राज्यसभा की चर्चा से ध्यान भटकने से बचाने के लिए 'एक देश, एक चुनाव' बिल को आज लोकसभा की कार्यसूची से हटा दिया गया है। हालांकि, इसे मंगलवार या बुधवार को लोकसभा में पेश किया जा सकता है। शुक्रवार को जारी कार्यसूची में कहा गया था कि यह बिल सोमवार को सदन में लाया जाएगा, लेकिन अब सरकार ने इसे आज न पेश करने का फैसला किया है। इस बदलाव की वजह पर कोई आधिकारिक बयान नहीं दिया गया है।
माना जा रहा है कि इस चर्चा के दौरान विपक्ष कई अहम मुद्दों को उठा सकता है। पिछले सप्ताह लोकसभा में जॉर्ज सोरोस के कथित संबंध, अडानी समूह के खिलाफ विदेशी आरोप और उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ को हटाने के विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव जैसे विवादित मुद्दे, हंगामे का कारण बन गए थे, जिसके कारण संसद का काफी समय बर्बाद हुआ। विपक्षी नेता का कहना है कि राज्यसभा में भी इन मुद्दों पर तीखी बहस हो सकती है।
बता दें कि, संसद का शीतकालीन सत्र 20 दिसंबर को समाप्त होगा। सत्र के आखिरी दिनों में 'एक देश, एक चुनाव' जैसे बिल और अन्य महत्वपूर्ण मुद्दों पर सरकार और विपक्ष के बीच बहस तेज होने की संभावना है। संविधान पर दो दिनों की यह चर्चा इस सत्र की प्रमुख गतिविधियों में से एक होगी।