नई दिल्ली। टॉयलेट का पानी यूं ही बरबाद हो जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि यह पानी काफी काम का भी हो सकता है। टॉयलेट का पानी इतना काम का है कि नागपुर में इस पानी का इस्तेमाल 50 एसी बसों को चलाने के लिए हो रहा है। यह जानकारी केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने दी।
दरअसल, केंद्र सरकार बायोगैस यानी जैव ईंधन बनाने पर जोर दे रही है। इसके लिए सरकार ने पहल भी की है और इसी पहल के तहत महाराष्ट्र के नागपुर में एक सरकारी एजेंसी ने टॉयलेट के पानी को 70 करोड़ रुपये में बेचा है। अब इस पानी से जैव ईंधन बनाया जा रहा है, जिससे फिलहाल 50 बसें सड़कों पर दौड़ रही हैं। केंद्रीय मंत्री गडकरी ने बताया कि नागपुर में जैव ईंधन के लिए कुछ प्रयोग किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयोगों के तहत टॉयलेट के पानी से बायो सीएनजी निकालने की योजना पर काम किया जा रहा है। फिलहाल टॉयलेट के गंदे पानी से बायो सीएनजी बनाने में सफलता मिली है और कुछ बसों पर इसे प्रयोग कर देखा जा रहा है। अगर प्रयोग सफल रहा, तो इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा।
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केंद्रीय मंत्री ने बताया कि सरकार ने तेल व गैस कंपनियों के साथ एक समझौता किया है। इस समझौते के तहत गंगा नदी की सफाई के दौरान निकली गंदगी से जो मीथेन गैस निकलती है, उससे बायो सीएनजी बनाई जाएगी। इस जैव ईंधन से गंगा के किनारे बसे 26 शहरों में सिटी बसें चलाई जाएंगी। केंद्रीय परिवहन मंत्री ने कहा कि इससे युवाओं को रोजगार भी मिलेगा। उम्मीद है कि इस योजना के तहत करीब 50 लाख युवाओं को रोजगार दिया जाएगा। वहीं मुंबई, पुणे और गुवाहाटी में कोयले से मीथेन गैस निकालकर बस चलाने की योजना है।
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गौरतलब है कि डीजल जहां 62 रुपये प्रति लीटर आता है, वहीं अगर मीथेन गैस को ईंधन के तौर पर इस्तेमाल किया जाए, तो इसकी कीमत केवल 16 रुपये प्रति लीटर आएगी। इससे आम आदमी को महंगाई की मार से भी राहत मिलेगी।
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