टोक्यो: भारतीय भाला फेंक एथलीट नीरज चोपड़ा ने बीते शनिवार को टोक्यो ओलंपिक खेलों में इतिहास रचकर सभी का दिल जीत लिया। इतिहास रचने के बाद उन्होंने कहा कि, 'वे अपने पहले दो थ्रो अच्छा फेंकने के बाद ओलंपिक रिकॉर्ड की कोशिश कर रहे थे, लेकिन ऐसा नहीं हो सका।' नीरज चोपड़ा ने बयान देते हुए यह भी खुलासा किया कि, 'वे अपने आखिरी थ्रो से पहले कुछ नहीं सोच रहे थे, क्योंकि उन्हें महसूस हो गया था कि वे यहां खेलों में अभूतपूर्व शीर्ष स्थान हासिल कर चुके थे।'
जी दरअसल नीरज सभी 12 प्रतिस्पर्धियों में पहले तीन प्रयासों में सर्वश्रेष्ठ थे, और इसी के चलते वह अगले तीन प्रयासों में थ्रो करने के लिए सबसे आखिर में आए। इस दौरान जैसे ही सिल्वर मेडल विजेता चेक गणराज्य के जाकुब वाडलेच ने अपना आखिरी थ्रो पूरा किया, वैसे ही नीरज चोपड़ा को यह समझ आ गया कि उन्होंने गोल्ड मेडल जीत लिया है। जीत के बाद वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस में नीरज ने कहा, 'मैं थ्रो करने वाला आखिरी खिलाड़ी था और हर कोई थ्रो कर चुका था, मैं जान गया था कि मैं गोल्ड जीत गया हूं, तो मेरे दिमाग में कुछ बदल गया, मैं इसे बयां नहीं कर सकता। मैं नहीं जानता कि क्या करूं और यह इस तरह का था कि मैंने क्या कर दिया है।'
आगे नीरज चोपड़ा ने यह भी कहा, 'मैं भाले के साथ रन-अप पर था लेकिन मैं सोच नहीं पा रहा था। मैंने संयम बनाया और अपने आखिरी थ्रो पर ध्यान लगाने का प्रयास किया जो शानदार नहीं था लेकिन फिर भी ठीक (84.24 मीटर का) था।' इसी के साथ नीरज ने कहा, 'वे 90.57 मीटर (नार्वे के आंद्रियास थोरकिल्डसन के 2008 बीजिंग ओलंपिक में बनाए गए) के ओलंपिक रिकॉर्ड का लक्ष्य बनाए हुए थे लेकिन ऐसा नहीं कर सके। पहले दो थ्रो अच्छा होने के बाद (जो 87 मीटर से ऊपर के थे) मैंने सोचा कि मैं ओलंपिक रिकॉर्ड की कोशिश कर सकता हूं। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया।'
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