प्रदोष व्रत को शास्त्रों में बहुत उत्तम व्रतों में से एक माना गया है। ये व्रत शिव जी को समर्पित है तथा प्रत्येक महीने कृष्ण पक्ष तथा शुक्ल पक्ष दोनों की त्रयोदशी तिथि को रखा जाता है। दिन के अनुसार प्रदोष व्रत की अहमियत भी अलग अलग होती है। मार्गशीर्ष माह का कृष्ण पक्ष का प्रदोष व्रत 2 दिसंबर बृहस्पतिवार यानी कल के दिन रखा जाएगा। बृहस्पतिवार के दिन ये व्रत पड़ने की वजह से इसे गुरु प्रदोष कहा जाता है। प्रदोष व्रत शिव जी को अति प्रिय है। परम्परा है कि इस व्रत को करने से महादेव प्रसन्न होते हैं व सभी समस्याओं को दूर करते हैं। शास्त्रों में प्रदोष व्रत को दो गायों के दान करने के समान पुण्यदायी बताया गया है। इस व्रत में महादेव पूजा हमेशा प्रदोष काल में कही जाती है। यहां जानिए व्रत विधि...
व्रत के दौरान ऐसे करें पूजन:-
सबसे पहले प्रातः सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि के पश्चात् व्रत का संकल्प लें। संभव हो तो दिन में आहार न लें। यदि नहीं रह सकते तो फलाहार ले सकते हैं। शाम को प्रदोष काल मतलब सूर्यास्त के पश्चात् तथा रात्रि से पहले के वक़्त में महादेव का पूजन करें। पूजन के लिए सबसे पहले स्थान को गंगाजल या जल से साफ करें। फिर गाय के गोबर से लीपकर उस पर 5 रंगों की सहायता से चौक बनाएं। पूजा के चलते कुश के आसन का इस्तेमाल करें।
पूजन की तैयारी करके ईशानकोण मतलब उतर-पूर्व दिशा की तरफ मुख करके बैठें तथा महादेव का ध्यान करें। पूजन के समय सफेद कपड़े पहनना अत्यंत शुभ माना जाता है। महादेव के मंत्र ‘ओम नम: शिवाय’ का जाप करते हुए महादेव को जल, चंदन, पुष्प, प्रसाद, धूप आदि अर्पित करें। तत्पश्चात, प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें। आरती करें तथा आखिर में क्षमायाचना करें। फिर ईश्वर का प्रसाद वितरण करें।
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