सनातन धर्म शास्त्रों में वैसे तो सभी एकादशी व्रत को बहुत अहमियत दी गई है, किन्तु मोक्षदा एकादशी के लिए कहा जाता है कि इस उपवसा को रखने मात्र से सभी एकादशियों का पुण्य मिल जाता है. इस बार मोक्षदा एकादशी 14 दिसंबर मंगलवार को पड़ रही है. कहा जाता है कि अगर आप इस व्रत को पूरी श्रद्धा एवं भक्ति के साथ रहें तथा इसके पुण्य को अपने पितरों को समर्पित कर दें तो इससे आपके पितरों का उद्धार हो जाता है. पितरों को नरक की यातनाओं से निजता प्राप्त होता है तथा जब वे मोक्ष की तरफ अग्रसर होते हैं तो अपने वंशजों को आशीर्वाद देकर जाते हैं. जिससे उनके वंशजों की जिंदगी सुखमय बनती है. जानिए इसका शुभ मुहूर्त और पूजा विधि...
शुभ मुहूर्त:-
एकदशी तिथि शुरू : 13 दिसंबर, रात्रि 9:32 मिनट से
एकदशी तिथि समाप्त: 14 दिसंबर रात्रि 11:35 मिनट पर
व्रत के पारण का समय: 15 दिसंबर प्रातः 07:05 बजे से प्रातः 09:09 बजे तक
ये है एकादशी पूजन विधि:-
प्रातः जल्दी उठकर नहाना आदि करके पूजा के स्थान को साफ करके लक्ष्मी नारायण की मूर्ति रखें तथा व्रत का संकल्प लें. तत्पश्चात, ईश्वर को धूप, दीप, नैवेद्य आदि चढ़ाएं. मोक्षदा एकादशी व्रत की कथा को पढ़ें या सुनें. घर में भगवद् गीता हो तो इसके सातवें अध्याया का पाठ करें. पूजा के पश्चात् ईश्वर से अपनी त्रुटि की क्षमायाचना करें. दिनभर व्रत रखें. संभव हो तो व्रत निर्जल रखें, न रख सकें तो फलाहार ले सकते हैं. रात में जागरण करके कीर्तन करें. दूसरे दिन नहाने के पश्चात् किसी ब्राह्मण को भोजन खिलाकर व दक्षिणा देकर पैर छूकर आशीर्वाद लें तथा अपना व्रत खोलें.
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