जबलपुर: मंगलवार, 6 अगस्त को मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने एमपी वक्फ बोर्ड के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें ऐतिहासिक बुरहानपुर किले को वक्फ संपत्ति घोषित कर दिया गया था और उसका मालिकाना हक़ अपने नाम कर लिया गया था। वक्फ बोर्ड के दावे में किले के भीतर कई प्रमुख स्थल शामिल थे, जैसे शाह शुजा का मकबरा, नादिर शाह का मकबरा, बीबी साहिब की मस्जिद और किले के परिसर में स्थित महल।
विवाद की शुरुआत 2013 में हुई जब वक्फ बोर्ड ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) से इन स्थलों को खाली करने का अनुरोध किया और कहा कि ये वक्फ की संपत्ति हैं। जवाब में, ASI ने उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की, जिसमें तर्क दिया गया कि बुरहानपुर के एमागिर्द गांव में स्थित और लगभग 4.448 हेक्टेयर में फैली यह संपत्ति प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम 1904 के तहत संरक्षित है। ASI ने कहा कि ये स्थल दशकों से उसके संरक्षण में हैं और संरक्षित स्मारकों के रूप में अपना दर्जा खोए बिना इन्हें वक्फ संपत्ति के रूप में पुनर्वर्गीकृत नहीं किया जा सकता। वक्फ बोर्ड ने जवाब दिया कि उसने संपत्ति को वक्फ घोषित करके सही किया है और तर्क दिया कि ASI को कोर्ट में रिट याचिका दायर करने के बजाय वक्फ ट्रिब्यूनल से संपर्क करना चाहिए था।
26 जुलाई को अपने आकलन में न्यायमूर्ति जी एस अहलूवालिया ने बताया कि इन संपत्तियों को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत आधिकारिक अधिसूचनाओं के माध्यम से 1913 और 1925 की शुरुआत में प्राचीन स्मारकों के रूप में नामित किया गया था। अदालत को इस बात का कोई सबूत नहीं मिला कि इन संपत्तियों को प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 की धारा 11 के अनुसार मुख्य आयुक्त की हिरासत से कभी हटाया गया था। मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय ने 6 अगस्त, 2024 को बुरहानपुर किले पर वक्फ बोर्ड के दावे को संबोधित करते हुए उनके स्वामित्व के दावे को खारिज कर दिया। वक्फ बोर्ड ने अपना दावा वक्फ अधिनियम 1995 की धारा 5(2) के तहत जारी अधिसूचना के आधार पर किया था। हालांकि, अदालत ने पाया कि बोर्ड ने पूरी अधिसूचना प्रस्तुत नहीं की।
हाईकोर्ट के इन जज साहब को सुनिए
— Laxmikant bhardwaj (@lkantbhardwaj) August 7, 2024
लताड़ते हुए कह रहे हैं , की “वक्फ़ बोर्ड को पूरे देश की संपति ही सौंप दो “
कौन नहीं जानता कि कांग्रेस ने वक़्फ़ बोर्ड को देश की संपत्तियाँ ज़ुहारी में दे दी थी pic.twitter.com/EtAUS3J7QN
यद्यपि किसी अन्य पक्ष ने अधिसूचना का विरोध नहीं किया, लेकिन बोर्ड प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत संरक्षण को अमान्य करने के लिए कोई कानूनी आधार नहीं दे सका, जब तक कि संपत्ति को केंद्र सरकार या आयुक्त द्वारा आधिकारिक रूप से मुक्त नहीं कर दिया गया। न्यायालय ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) की स्थिति को बरकरार रखा, जिसमें कर्नाटक वक्फ बोर्ड बनाम भारत सरकार (2004) में सर्वोच्च न्यायालय के फैसले का हवाला दिया गया। इस फैसले ने स्थापित किया कि प्राचीन संरक्षित स्मारकों के रजिस्टर में सूचीबद्ध संपत्तियां निर्विवाद रूप से भारत सरकार के स्वामित्व और रखरखाव के अधीन हैं।
अदालत ने निष्कर्ष निकाला कि वक्फ बोर्ड की अधिसूचना गलत थी। अदालत ने कहा कि, "एक बार जब किसी संपत्ति को प्राचीन स्मारक और संरक्षित स्मारक घोषित कर दिया जाता है, तो उसे वक्फ अधिनियम, 1995 के अनुसार वक्फ संपत्ति नहीं माना जा सकता है। भले ही इसे वक्फ संपत्ति घोषित करने वाली अधिसूचना जारी की गई हो, लेकिन यह प्राचीन स्मारक संरक्षण अधिनियम, 1904 के तहत मौजूदा अधिसूचनाओं को रद्द नहीं करेगी।"
हाई कोर्ट ने आगे कहा कि, "किसी संपत्ति के संबंध में जारी की गई गलत अधिसूचना, जो वक्फ अधिनियम की प्रारंभ तिथि के अनुसार मौजूदा वक्फ संपत्ति नहीं है, उसे वक्फ संपत्ति नहीं बनाती है, न ही यह वक्फ बोर्ड को प्राचीन और संरक्षित स्मारकों से केंद्र सरकार को बेदखल करने का अधिकार प्रदान करती है।" न्यायमूर्ति जीएस अहलूवालिया ने एक महत्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा कि, "कल को आप ताजमहल-लाल किले पर दावे ठोकेंगे, आप कह सकते हैं कि पूरा भारत वक्फ की संपत्ति है, तो क्या ? यह इस तरह से काम नहीं करता है - आप अधिसूचना जारी करके हर संपत्ति को अपना नहीं कह सकते।" अदालत ने फैसला सुनाया कि मध्य प्रदेश वक्फ बोर्ड के CEO ने स्मारक को वक्फ की संपत्ति मानकर और ASI को इसे खाली करने का निर्देश देकर गंभीर कानूनी गलती की है।
“कलकत्ता हाईकोर्ट, ईडन गार्डन, एयरपोर्ट, ममता बनर्जी का सरकारी बंगला सब वक़्फ़ की ज़मीन पर है, पूरा कलकत्ता हमारा है, हिंदुओं का कुछ नहीं”
— ANUPAM MISHRA (@scribe9104) May 6, 2024
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दरअसल, ये केस 2013 से पहले का था, इसलिए कोर्ट पहुँच गया, वरना 2013 में कांग्रेस सरकार ने वक़्फ़ कानून में संशोधन करके, उसे असीमित ताकत दे दी है। आज अगर वक्फ आपकी संपत्ति पर दावा ठोंकता है, तो कोर्ट भी आपकी सुनवाई नहीं कर सकती और ना ही केंद्र या राज्य सरकार आपकी कोई मदद कर पाएगी। इसके लिए आपको वक्फ ट्रिब्यूनल में जाकर उनसे ही गुहार लगाना पड़ेगी, जिसने आपकी जमीन हड़पी है। आज गुरुवार (8 अगस्त) को केंद्र सरकार इसी शक्ति पर कैंची चलाने के लिए बिल लाइ है, जिसका पूरा विपक्ष विरोध कर रहा है।
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