भारतीय फिल्म जगत में बॉक्सिंग की मूवीज का जब भी जिक्र होता है मिथुन चक्रवर्ती की मूवी ‘बॉक्सर’ अवश्य याद आती है। प्रियंका चोपड़ा ने भी ‘मैरी कॉम’ में अपना खून पसीना एक किया। अच्छी मूवी आर माधवन की बनाई ‘साला खड़ूस’ भी रही। मगर जिसने भी बॉक्सिंग चैंपियन मोहम्मद अली की बायोपिक ‘अली’ देखी है, उन्हें समझ आएगा कि बॉक्सिंग पर मूवी बनाना सरल काम नहीं है। विशेष रूप से यदि पैमाना ‘रेजिंग बुल’ या ‘सिंड्रेलामैन’ जैसी मूवीज को माना जाए तो मुक्केबाज़ के जीवन को बॉक्सिंग रिंग से बाहर ले जाकर भारतीय फिल्मों में देखने के प्रयास कम ही हुए है। मूवी ‘तूफान’ एक मुक्केबाज के सब कुछ खो देने के पश्चात् वापसी करने की कहानी है। वापसी इस मूवी से डायरेक्टर राकेश ओमप्रकाश मेहरा भी कर रहे हैं। पांच वर्ष हो गए उनको अपने करियर की सबसे बड़ी फ्लॉप मूवी दिए और अब जाकर वह भी समझ गए हैं, ‘अपनी इज्जत अपने हाथ होती है।’
वही मूवी ‘तूफान’ के ऊपर आरोप लगते रहे कि ये लव जिहाद की स्टोरी है। ये एक मुस्लिम बॉक्सर तथा एक हिंदू चिकित्सक लड़की की प्रेम कहानी है जरूर। लड़की का पिता इस मुस्लिम लड़के की लव स्टोरी जानने के पश्चात् उसे दुत्कारता भी इसी सोच के साथ है। मगर अनाथालय में पला अज्जू उर्फ अजीज अली बॉक्सर इस पूरी प्रेम कहानी में कहीं भी एक भी पहल अपनी ओर से नहीं करता है। प्रेमिका से वह ‘आप’ बोलके बात करता है। उसका कोच उसकी प्रेमिका का पिता है ये प्रशंसकों को आरम्भ से पता होता है मगर जब अज्जू को पता चलता है तो तूफान आ जाता है। मूवी की स्टोरी में तूफान नाम अजीज अली बॉक्सर को प्राप्त हुआ है। कहानी डोंगरी से निकलकर महाराष्ट्र की मुख्यधारा में आने के पश्चात् दिल्ली तक जाती है। खेल संघों में होने वाले भ्रष्टाचार को बताती है। खेल को लेकर युवाओं की परिवर्तित होती सोच को दिखाती है और दिखाती है मनमोहन देसाई के समय के उस फिल्मों की झलकियां जब परदे पर केसरिया और हरा बाना एक साथ दमकता रहता था।
राकेश ओमप्रकाश मेहरा ने मौजूदा समय के अनुसार ही कहानी चुनी है। कहानी के साथ साथ वह अपनी निर्देशकीय टिप्पणियां भी करते चलते हैं। राकेश कभी पलायनवादी फिल्ममेकर नहीं रहे। ‘मिर्ज्या’ की सबसे बड़ी सीख भी उनको यही प्राप्त होगी। अजीज अली की भूमिका में कई बार स्वयं राकेश ओमप्रकाश मेहरा का अक्स दिखने लगता है। मूवी के कुछ सीन में वह भी नजर आए हैं। मेहरा को अपनी पहली मूवी ‘अक्स’ बनाए इसी माह 20 वर्ष पूरे हुए। और, फिल्म ‘तूफान’ एक तरह से उनका भी फिल्मों में पुनर्जन्म है। उनकी इसी मूवी का एक संवाद है, ‘जब लाइफ मौका देगी तो क्या करेगा, आने देगा या जाने देगा?’ फिल्म लंबी अवश्य है तथा इसलिए कहीं अटकती एवं खटकती है। मगर एक अच्छी पटकथा ही एक अच्छी मूवी की जान होती है ये मूवी ‘तूफान’ फिर एक बार समझाती है।
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