टेस्ट क्रिकेट से टॉस की प्रथा खत्म नहीं होगी ये निर्णय मंगलवार को हुई ICC की क्रिकेट समिति की बैठक में लिया गया है. समिति का मानना है कि टॉस क्रिकेट का एक अहम हिस्सा है, इसलिए नहीं हटाया जाएगा. इसके बाद से उन तमाम अटकलों पर विराम लग गया जो इस मुद्दे को लेकर चल रही थी. काफी समय से चर्चा थी कि क्या टेस्ट मैचों के दौरान घरेलू हालात के फायदे को कम करने के लिये टॉस (दौरा करने वाली टीम को चुनने का अधिकार मिले) को खत्म कर दिया जाए.
इस समिति के अध्यक्ष भारत के पूर्व खिलाड़ी अनिल कुंबले हैं. पूर्व भारतीय कप्तान की अगुवाई में समिति ने खिलाड़ियों के व्यवहार के संबंध में सिफारिशें की और विश्व क्रिकेट संचालन संस्था से कड़े कदम उठाने और खिलाड़ियों और प्रतिस्पर्धी टीम के बीच ‘सम्मान की संस्कृति’ को बरकरार रखने की वकालत की. समिति में अनिल कुंबले के अलावा माइक गेटिंग, महेला जयवर्धने, माइकल हेसन (न्यूजीलैंड) और पूर्व ऑस्ट्रेलियाई सलामी बल्लेबाज और मैच रैफरी डेविड बून भी शामिल हैं. आईसीसी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए कहा कि समिति ने चर्चा की कि क्या टॉस का अधिकार सिर्फ दौरा करने वाली टीम के सुपुर्द कर दिया जाए, लेकिन बाद में महसूस किया गया कि यह टेस्ट क्रिकेट का अभिन्न हिस्सा है जो खेल की शुरुआत में मैच की भूमिका तय करता है.
टॉस को हटाया जाना एक विवादास्पद मुद्दा बन गया था, क्योंकि ज्यादातर पूर्व खिलाड़ियों और हिस्सेदारों ने इसे नकारात्मक कदम बताया था. बैठक में क्रिकेट की आचार संहिता को लेकर भी काफी चर्चा हुई और कुछ सुझाव भी दिए गए.
आचार संहिता के संबंधित कुछ सुझाव इस प्रकार हैं -
#गेंद से छेड़छाड़ से जुड़े प्रतिबंध को बढ़ाना
#अपमानजनक, व्यक्तिगत और आक्रामक अपशब्दों के लिये नए उल्लंघन बनाना.
#अनुचित फायदा उठाने का प्रयास करने के लिये नये अपराध को शामिल करने पर विचार करना.
#सम्मान संहिता बनाना
#मैच रैफरी को किसी अपराध या उल्लंघन के स्तर को बढ़ाने या घटाने का अधिकार देना.
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