उत्तरप्रदेश। लगता है भारतीय रेलों के भाग्य में शनि की साढ़ेसाती चल रही है। यही कारण है कि, कभी पटरी के नीचे से मिट्टी खसक जाती है, कभी पटरी की स्लीपर के लाॅक ढीले हो जाते हैं, इंदौर - पटना रेल पलट जाती है, तो कभी, उत्कल एक्सप्रेस पटरी छोड़कर घरों में घुस जाती है। घर से यात्रा करने निकले, जिंदा मुसाफिर लाश बनकर वापस आते हैं। इसी तरह का एक हादसा, अपराध और देश दोनों की राजधानी दिल्ली में भी घटित हो गया है। जहां एक ईएमयू फिर से बेपटरी हो गई।
सोचने की बात ये है कि, जब रेलमंत्रालय के पास ही, ऐसी घटनाऐं घट रही हों, तो बाकि देश की क्या कल्पना की जाए। फिलहाल ओखला के पास, एक ईएमयू बेपटरी हो गई। राहत की बात यह है कि, इसमें अभी किसी के हताहत होने की खबर नहीं आई है लेकिन, फिर भी रेल प्रशासन के जिम्मेदार किसी भी प्रकार की प्रतिक्रिया देने से बच रहे हैं।
समुद्र के नीचे बुलेट चलाने का सपना देखने वाले, जमीन पर चल रही ट्रेनों को संभाल नहीं पा रहे हैं। पिछले कुछ समय में, देश में रेल दुर्घटनाओं की संख्याओं में अप्रत्याशित रूप से वृद्धि हुई है जिसके लिए, पूर्व रेल मंत्री ने नैतिक दायित्व लेते हुए, अपने पद को त्याग दिया था, और फिर इस उम्मीद में कि, रेलवे के हालात बदलेंगे पीयूष गोयल इस पद पर आए, लेकिन हालात अब भी जस के तस हैं।
देश की राजधानी दिल्ली के समीप ओखला में बेपटरी हुई ईएमयू रेल की दुर्दशा को अपने आप बयान कर रही है। हमेशा की तरह नेताओं के बयान, भविष्य में सुधार और जाॅंच के द्वारा जिम्मेदार अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर लेंगे। ईएमयू के बेपटरी होने से कुछ देरी के लिए रेल यातायात पर भी असर पड़ा है।
ट्रेनों पर हुआ सर्द मौसम का असर
देश में बारह घंटे से भी कम समय में चार रेल दुर्घटनाएं