मुंबई: महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों में ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड ने महा विकास अघाड़ी (MVA) गठबंधन को अपना समर्थन देने का ऐलान किया है। उलेमा बोर्ड ने कांग्रेस के नेतृत्व वाले इस गठबंधन को समर्थन देने के लिए 17 विशेष शर्तें भी रखी हैं। इन शर्तों में कई विवादास्पद माँगें शामिल हैं। उदाहरण के लिए, वक्फ बोर्ड को 1000 करोड़ रुपये की आर्थिक सहायता देना, मुस्लिमों को पुलिस भर्ती, वक्फ बिल का विरोध, रामगिरि महाराज को जेल, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) पर प्रतिबंध लगाना आदि शामिल है।
It's the same place; #Malegao where Muslims voted en masse against BJP during Loksabha elections n the same place is in spotlight once again as 12 unemployed youths received total Rs 125 Crores in their bank accounts immediately after #MaharashtraAssembly elections declared n… pic.twitter.com/v8dxR8qKzg
— Legal Rights Observatory- LRO (@LegalLro) November 10, 2024
उलेमा बोर्ड की माँगों में वक्फ संशोधन विधेयक का विरोध और इसे निरस्त करने, वक्फ संपत्तियों पर से अतिक्रमण हटाने के लिए महाराष्ट्र विधानसभा में कानून बनाने की बात भी शामिल है। इसके साथ ही उन्होंने राज्य के शिक्षा बोर्ड में मुसलमानों के लिए 10% आरक्षण की माँग की है और पुलिस भर्ती में शिक्षित मुस्लिम उम्मीदवारों को प्राथमिकता देने की भी शर्त रखी है।
बोर्ड ने यह भी माँग की है कि भाजपा नेता नितेश राणे और रामगिरी महाराज को जेल भेजा जाए, जबकि मौलाना सलमान अजहरी की रिहाई की जाए। इसके अतिरिक्त, बोर्ड ने महाराष्ट्र में मस्जिदों के मौलानाओं और इमामों को हर महीने 15,000 रुपये वेतन देने का प्रस्ताव भी दिया है। उन्होंने यह माँग भी की है कि राज्य सरकार पैगंबर मोहम्मद के खिलाफ बयान देने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ सख्त कानून लागू करे।
खबरें हैं कि एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने उलेमा बोर्ड की शर्तों को ध्यान में रखते हुए कुछ शर्तों को मान भी लिया है। इस बीच, राज्य में मुस्लिम वोटों को एकजुट करने के लिए करीब 180 एनजीओ मिलकर काम कर रहे हैं। इसी क्रम में पिछले दिनों एक घटना सामने आई, जिसमें नासिक में 12 मुस्लिम युवाओं को बेरोज़गार बताकर उनके खातों में भारी रकम स्थानांतरित की गई थी। हर व्यक्ति के खाते में 12 से 15 करोड़ रुपये भेजे गए, और यह राशि सिराज अहमद नाम के एक व्यापारी द्वारा मालेगाँव मर्चेंट बैंक के माध्यम से स्थानांतरित की गई थी। जो करीब 125 करोड़ रूपए थे। पुलिस अब इस मामले की जाँच कर रही है कि कहीं यह कोई धोखाधड़ी का मामला तो नहीं या फिर इसके पीछे कोई अन्य उद्देश्य है। साथ ही उलेमाओं की शर्त और MVA के समर्थन के बीच हुए इस घटनाक्रम को चुनावी राजनीति से भी जोड़कर देखा जा रहा है कि कहीं ये पैसा मुस्लिम वोट पाने के लिए तो नहीं भेजा गया, जो इन कथित बेरोज़गार युवाओं के जरिए लोगों तक पहुंचना हो ?
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