सिंहस्थ के लिए उठी किन्नर अखाड़ा बनाने की मांग

सिंहस्थ के लिए उठी किन्नर अखाड़ा बनाने की मांग
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उज्जैन : किन्नर समुदाय के संत प्रतिनिधियों ने अपने लिए एक अखाड़ा बनाने और साधु-संतों की ही तरह समान शाही स्नान करने का अधिकार मांगने हेतु देशभर के किन्नर प्रतिनिधियों की बैठक संपन्न हुई। इस दौरान उज्जैन की आध्यात्मिक वाटिका में किन्नर प्रतिनिधि एकत्रित हुए। जिसमें मुंबई और अन्य क्षेत्रों से किन्नर पहुंचे। मुंबई के किन्नर और बिग बॉस फेम लक्ष्मीनारायण ने राजनीति और धर्म के ठेकेदारों पर कटाक्ष किया। उन्होंने अप्रत्यक्षतौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का विरोध करते हुए कहा कि किन्नरों को अपनाने के लिए 56 इंच का सीना नहीं कलेजा भी चाहिए। 56 इंच के कलेजे की आवश्यकता। उन्होंने अपने अस्तित्व को खड़ा करने के लिए तैयार किया। उन्होंने कहा कि कभी न कभी तो उनके भी अच्छे दिन आऐंगे ही। 

मिली जानकारी के अनुसार उन्होंने कहा कि यदि लोकसभा में सरकार किन्नरों से जुड़ा प्रस्ताव पारित करवाती है तो वे सरकार के साथ हैं। किन्नरों को सर्वोच्च न्यायालय ने सम्मान प्रदान किया है। सिंहस्थ से जुड़े मसले पर किन्नर समुदाय के प्रतिनिधि ने कहा कि देशभर के किन्नर प्रतिनिधियों के साथ मीडिया से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि धर्म और समाज में वे अपने वजूद को फिर से स्थापित करना चाहते हैं। किन्नरों द्वारा किन्नर अखाड़े की घोषणा की जाएगी।

सिंहस्थ 2016 में किन्नर अखाड़े का पड़ाव होगा। किन्नर अखाड़े के गठन के साथ ही किन्नर अखाड़े के संत पेशवाई में भी शामिल होंगे और शाही स्नान भी करेंगे। अर्धनारीश्वर की नगरी में अखाड़े की शुरूआत के साथ ही वाटिका हासामपुरा में होगा। लक्ष्मीनारायण और कमला मौसी ने अखाड़े के 10 महामंडलेश्वर नियुक्त किाए जाने की बात कही है। वे कलेक्टर से भूमि की मांग भी करने की तैयारी कर रहे हैं। केंद्रीय मंत्री थावरचंद गेहलोत द्वारा उन्हें सहयोग दिया जा रहा है। दूसरी ओर अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरिजी महाराज ने कहा कि सिंहस्थ वर्ष 2016 में परंपरागत अखाड़ों को ही स्थान दिया जाएगा। जो 13 अखाड़े हैं वे ही प्रमुख होंगे। किसी और अखाड़े को मान्यता नहीं दी जा सकती है।

इन अखाड़ों के अतिरिक्त किसी और अखाड़े को महत्व नहीं दिया जा सकता है। मगर किन्नर प्रतिनिधि लक्ष्मीनारायण ने कहा कि किन्नर अखाड़ा बनकर रहेगा। लगभग 7 हजार किन्नर इस अखाड़े के पंडाल में पहुंचेंगे। यदि किन्नरों को रोका गया न्यायालय की शरण में पहुंचेंगे। उल्लेखनीय है कि किन्नर प्रतिनिधि के तौर पर सामने आई लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी किन्नरों की सामाजिक पहचान के लिए संघर्ष करने वाली कार्यकर्ता और भरतनाट्यम नृत्यांगना हैं। 

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