त्योहारों के उत्सव में दिवाली के उत्साह ने रंग-बिखेरना शुरू कर दिया है। त्योहार की तैयारी जोर-शोर से चल रही है। 27 अक्टूबर को धरती हर साल की तरह इस साल भी जगमग-जगमग करेगी। लोग एक हफ्ते पहले से ही घरों को सजा रहे हैं। मिठाइयों की रेसिपी ढूढ़ी जा रही है। इन सब के बीच देश के कुम्हारों ने भी कमर कस ली है। उनकी चक्की तेज, खूब तेज घूम रही है। दीये बनाए जा रहे हैं। इसी बीच सोमवार को ट्विटर पर एक हैशटैग भी ट्रेंड में आया #PotterkiDiwali
ध्यान देने वाली बात ये है की बीते कुछ वर्षों से बाजार में दिवाली के मौके पर पारंपरिक मिट्टी के दीयों की बजाय चाइनीज बल्बों का ट्रेंड बढ़ा है। जबकि दूसरी ओर, इन दीयों पर जीवन बसर करने वाले हमारे कुम्हार हाथ में हुनर होने के बावजूद तंगी का दंश झेल रहे हैं। दिल्ली के एक कुम्हार हरकिशन ने एक वेबसाइट से बातचीत में कहा, ‘कच्चे माल की कीमत बढ़ रही है और हमारी बिक्री घट रही है। घरों में मिट्टी के दीयों की जगह पर प्लास्टिक, शीशे और एलुमिनियम के दीये इस्तेमाल हो रहे हैं।’ बहरहाल, ट्विटर पर #PottersKiDiwali ट्रेंड के जरिए इसी की सुध ली जा रही है। यूजर्स स्थानीय कलाकारों और कुम्हारों के दीये खरीदने पर जोर दे रहे हैं। इसके तहत लोग ट्वीट कर रहे हैं कि इस दिवाली हमें इम्पोर्टेड लाइट्स की जगह कुम्हार के बनाए दीये खरीदने पर जोर देना चाहिए। जहां तक संभव हो, उनसे मोलभाव भी कम किया जाना चाहिए। दोस्तों को गिफ्ट देने के लिए भी स्थानीय कलाकारों के बनाए दीये भी अच्छे विकल्प हो सकते हैं।
बच्चो को जन्म देने इस महिल अपर लगा बैन, वजह जान चौक जाएंगे आप
कूड़ा समझकर बाहर फेका , करोडो में निकली उसकी कीमत .................