कुरूक्षेत्र। दीपावली पर आना तो उन्हें था लेकिन जब गांव में शहीद का कोफिन पहुंचा तो हर आंख नम हो गई। हर कहीं भारत माता की जय के जयकारे गूंजे। शहीद के घर में मातमी सन्नाटा मसरा था। दीपावली की खुशियां चीखों में बदल गई। घर में दिये जलाने की तैयारी थी लेकिन पड़ोसी देश पाकिस्तान समर्थित आतंकियों से सीमा पर हुए संघर्ष में घर का चिराग बुझ गया। दरअसल एलओसी पर पाकिस्तानी सैनिकों और आतंकियों के हमले की जवाबी कार्रवाई भारतीय सेना ने की। इस दौरान पाकिस्तान द्वारा की जाने वाली गोलीबारी से मनदीप सिंह घायल हो गए थे।
कुपवाड़ा के मच्छिल सेक्टर में शुक्रवार को आतंकियों ने शहीद के शव की बुरी हालत कर दी। मनदीप का शव सेना के जवानों द्वारा तिरंगे में लिपटे हुए कोफिन के साथ लाया गया तो हर आंख से आंसू निकल आए। परिजन गमगीन थे। उनका कहा था कि दीपावली पर वे घर आने वाले थे और लगभग 7 माह बाद उन्हें अवकाश मिलने वाला था मगर अब आए तो परिजन से बात नहीं की और अब उनकी यादें ही परिजन के साथ हैं।
देशभर में आतंकियों की कायराना करतूत को लेकर गुस्सा है। शहीद मनदीप की शहादत पर उन्हें उनके गृहनगर में अंतिम विदाई दी गई। परिजन बिलख रहे थे लेकिन उन्हें गर्व था कि मनदीप सिंह सीमा पर लड़ते हुए शहीद हुए हैं मनदीप को अपने नए घर में गृहप्रवेश करना था मगर उनकी अंतिम यात्रा से पहले उनका शव इस घर में रखा गया। उनका परिवार दीपावली पर गृहप्रवेश करने वाला था।
गौरतलब है कि मनदीप ने कुछ समय पूर्व ही नया मकान बनवाया था। सरकार ने शहीद की शहादत पर परिजन को 50 लाख रूपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की है। कुरूक्ष़्ोत्र के उनके गांव अंतहेड़ी में शहीद को अंतिम विदाई देने के ही साथ ग्रामीण दिवाली न मनाने का फैसला कर चुके हैं गांव में हर कहीं शहीद के जाने का गम है।