नई दिल्ली। सर्वोच्च न्यायालय की 5 जजेज़ की संवैधानिक पीठ द्वारा ट्रिपल तलाक को लेकर सुनवाई की जा रही है। यह सुनवाई नियमित तौर पर हो रही है। आज इस सुनवाई का 6 ठा दिन है। माना जा रहा है कि आज इस मामले में न्यायालय अपनी सुनवाई पूरी कर सकता है। केंद्र सरकार ने अपनी ओर से कहा था कि जिस तरह से सती प्रथा को समाप्त किया गया है उसी तरह से ट्रिपल तलाक को भी समाप्त कर दिया जाए। गौरतलब है कि न्यायालय ने मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड से सवाल किए थे और कहा था कि क्या महिलाऐं तीन तलाक को अस्वीकार कर सकती हैं।
न्यायालय ने कहा था कि यह देखना होगा कि तीन तलाक से महिलाओं के जीवन पर नकारात्मक असर तो नहीं हो रहा है। सर्वोच्च न्यायालय का कहना था कि आखिर क्या निकाहनामे में ऐसी शर्त शामिल की जा सकती है कि महिला तीन तलाक स्वीकार करेगी या नहीं। इस पर मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने अपना तर्क देते हुए कहा कि यदि मुस्लिम पर्सनल लाॅ बोर्ड सलाह भी दे दे तो भी यह नहीं कहा जा सकता है कि निचले स्तर पर काजी इस बात को मानेंगे और बोर्ड के सदस्य द्वारा इन सुझावों पर चर्चा की जाएगी।
3तलाक के मसले पर भारतीय जनता पार्टी के प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्विट कर लिखा कि यदि तीन बार राम बोला जाए तो दुख दूर होता है और तीन बार तलाक बोला जाए तो दुख शुरू होता है। गौरतलब है कि पूर्व केंद्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने कहा था कि जब भगवान राम का जन्म अयोध्या में होना आस्था का विषय हो सकता है तो फिर तीन तलाक आस्था का विषय क्यों नहीं हो सकता है इस बात पर भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने ट्विट किया। दूसरी ओर केंद्र सरकार की ओर से अटाॅर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा कि इस मामले को बहुसंख्यक और अल्पसं ख्यक के बीच का मसला नहीं बनाना चाहिए। महिलाऐं अल्पसंख्यकों में भी अल्पसंख्यक हैं। सुनवाई के दौरान उनके पक्ष को ध्यान में रखा जाना चाहिए।
SC का सवाल : क्या महिला को मिल सकता है तलाक को न मानने का अधिकार!
कपिल सिब्बल ने कहा-जब राम का जन्म आस्था से जुड़ा है तो फिर तीन तलाक क्यों नहीं
तीन तलाक परंपरा नहीं 1400 वर्षों से किया जाने वाला उत्पीड़न