बांग्लादेश को मिल रही अमेरिकी मदद पर ट्रंप ने लगाया ब्रेक, अब क्या करेगी यूनुस सरकार..?

बांग्लादेश को मिल रही अमेरिकी मदद पर ट्रंप ने लगाया ब्रेक, अब क्या करेगी यूनुस सरकार..?
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वाशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को बड़ा कदम उठाते हुए बांग्लादेश को दी जाने वाली सभी प्रकार की मदद पर रोक लगाने का फैसला लिया। जानकारी के मुताबिक, यूनाइटेड स्टेट्स एजेंसी फॉर इंटरनेशनल डेवलपमेंट (USAID) ने बांग्लादेश में चल रही अपनी सभी परियोजनाओं को बंद करने का ऐलान कर दिया है। इस फैसले को बांग्लादेश के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है, क्योंकि पहले से ही खराब हालात में फंसे इस देश की अर्थव्यवस्था पर इसका गहरा असर पड़ सकता है।  

बांग्लादेश में शेख हसीना सरकार का तख्तापलट होने के बाद से ही देश की स्थिति खराब होती जा रही है। बढ़ती महंगाई, बेरोजगारी, और उद्योगों के ठप होने से लोगों की मुश्किलें बढ़ गई हैं। इस बीच, अमेरिका के इस कदम ने संकट को और गहरा कर दिया है। बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था में अमेरिकी निवेश हमेशा से एक अहम भूमिका निभाता आया है। साल 2020 तक बांग्लादेश में अमेरिका का कुल प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) लगभग 3 बिलियन डॉलर तक था। अमेरिकी कंपनियां कपड़ा, ऊर्जा, कृषि, और सूचना प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में निवेश कर रही थीं। खासतौर पर, बांग्लादेश का वस्त्र उद्योग अमेरिका पर काफी हद तक निर्भर है, क्योंकि यह दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा वस्त्र निर्यातक देश है और अमेरिका उसका सबसे बड़ा बाजार है।  

अमेरिकी कंपनियों के निवेश के कारण लाखों बांग्लादेशी नागरिकों को रोजगार मिला हुआ था। 2020 में, बांग्लादेश के वस्त्र निर्यात का 20% हिस्सा अकेले अमेरिका को गया था। ऐसे में अमेरिका द्वारा सहायता और निवेश रोकने से बांग्लादेश के वस्त्र उद्योग को बड़ा झटका लग सकता है। बांग्लादेश में हिन्दुओं की स्थिति पहले ही गंभीर थी, लेकिन शेख हसीना के तख्तापलट के बाद से इस्लामी कट्टरपंथियों ने हिन्दुओं पर अत्याचार और बढ़ा दिए हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक, हिन्दू बहन-बेटियों का अपहरण और बलात्कार आम बात हो गई है। हिन्दू पुरुषों को बेरहमी से मारा जा रहा है, और उन्हें इस्लाम कबूलने के लिए मजबूर किया जा रहा है। इसके अलावा, मंदिरों को जलाने और हिन्दू धर्मस्थलों को तोड़ने की घटनाएं लगातार हो रही हैं।  

कई हिन्दू परिवार अपनी जान बचाने के लिए बांग्लादेश से पलायन करने पर मजबूर हो गए हैं। स्थानीय प्रशासन और सरकार का इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ कोई सख्त कदम न उठाना, इन घटनाओं को और बढ़ावा दे रहा है। डोनाल्ड ट्रंप ने अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी बांग्लादेश में हो रहे हिन्दू नरसंहार की कड़ी निंदा की थी। मौजूदा सरकार के मुखिया मोहम्मद यूनुस पर आरोप है कि उन्होंने इन घटनाओं को रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया। ट्रंप प्रशासन ने बांग्लादेश में हिन्दुओं के साथ हो रही इन घटनाओं को लेकर कड़ा रुख अपनाया है।  

अमेरिका के इस फैसले से बांग्लादेश की अर्थव्यवस्था पर गंभीर असर पड़ेगा। अमेरिकी निवेश केवल वित्तीय मदद नहीं देता, बल्कि तकनीकी और अनुसंधान में भी बांग्लादेश की मदद करता रहा है। ऊर्जा क्षेत्र में अमेरिकी निवेश ने बांग्लादेश को टिकाऊ ऊर्जा स्रोतों की ओर बढ़ने में मदद की थी। लेकिन अब, निवेश रुकने से बांग्लादेश को ऊर्जा संकट का सामना करना पड़ सकता है।  

अमेरिका का यह कदम अन्य विदेशी निवेशकों को भी बांग्लादेश से दूर कर सकता है। इससे देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर असर पड़ेगा, जो कि विदेशी व्यापार के लिए जरूरी है। पहले ही, देश में बेरोजगारी चरम पर है। 10 लाख से ज्यादा लोग अपने रोजगार खो चुके हैं, और कई उद्योग बंद हो चुके हैं। महंगाई दर 10% के करीब पहुंच चुकी है, और जनता का सरकार से भरोसा टूट रहा है। ऐसे में, अमेरिका की सहायता बंद होने से बांग्लादेश के हालात और बिगड़ सकते हैं। बांग्लादेश को अब अपनी आंतरिक समस्याओं का समाधान निकालना होगा। हिन्दुओं पर अत्याचार और कट्टरपंथ की बढ़ती घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। अगर समय रहते ये समस्याएं सुलझाई नहीं गईं, तो देश का आर्थिक और सामाजिक ढांचा पूरी तरह से चरमरा सकता है।

 

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