शिवसेना नेता संजय राउत ने रविवार (24 नवंबर) को पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की आलोचना करते हुए इल्जाम लगाया कि उन्होंने महाराष्ट्र में दल-बदल करने वाले नेताओं के मन से कानून का डर समाप्त कर दिया गया दिया था. राउत ने दावा किया कि अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय नहीं करके चंद्रचूड़ ने दलबदल के लिए दरवाजे और खिड़कियां खुली रखीं.
शिवसेना (यूबीटी) के नेता राउत का यह बयान राज्य विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की करारी हार के उपरांत आया है, जहां महा विकास आघाडी (एमवीए) के तहत उसने 95 सीट पर चुनाव लड़ा था लेकिन केवल 20 सीट पर ही जीत भी अपने नाम कर ली है. MVA के अन्य गठबंधन सहयोगियों का प्रदर्शन भी कुछ बेहतर नहीं रहा. कांग्रेस ने 101 में से केवल 16 सीट जीतीं और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने 86 सीट में से केवल 10 सीट अपने नाम कर ली है.
‘इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा नाम’: राउत ने पत्रकारों के साथ बातचीत में इल्जाम लगाया, ‘‘उन्होंने (चंद्रचूड़) दलबदलुओं के मन से कानून का डर खत्म कर दिया. उनका नाम इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाने वाला है.’’ 2022 में अविभाजित शिवसेना में विभाजन के उपरांत , उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले पार्टी के गुट ने एकनाथ शिंदे के साथ दलबदल करने वाले पार्टी विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दर्ज कर दी है. अदालत ने अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने का दायित्व विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ था. विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को ‘‘असली राजनीतिक दल’’ घोषित किया था.
‘…तो परिणाम अलग होते’: राउत ने इल्जाम लगाया कि विधानसभा चुनाव के नतीजे पहले से तय थे. उन्होंने कहा कि अगर तत्कालीन चीफ जस्टिस ने अयोग्यता याचिकाओं पर वक़्त पर निर्णय किया होता तो परिणाम अलग होते. उन्होंने ये भी कहा है कि, ‘‘हम दुखी हैं, लेकिन निराश नहीं हैं. हम लड़ाई को अधूरा नहीं छोड़ेंगे. मतों का विभाजन भी एक कारक था और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जहरीले अभियान ने हम पर नकारात्मक प्रभाव भी डाल दिया है.’’
राउत ने इस बारें में बोला है कि नई सरकार का शपथग्रहण समारोह पड़ोसी गुजरात में हो तो ज्यादा अच्छा है. इस बीच, पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में अपने साप्ताहिक स्तंभ ‘रोखठोक’ में शिवसेना (उबाठा) नेता राउत ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग के प्रति संवेदना व्यक्त करने का समय आ गया है, जिसने धनबल के इस्तेमाल पर आंखें मूंद लीं. उन्होंने इल्जाम लगाया, ‘‘अदालतें लंबे समय से ICU में हैं.” शिवसेना नेता संजय राउत ने रविवार (24 नवंबर) को पूर्व चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की आलोचना करते हुए इल्जाम लगाया कि उन्होंने महाराष्ट्र में दल-बदल करने वाले नेताओं के मन से कानून का डर पूरी तरह से समाप्त कर डाला. राउत ने दावा किया कि अयोग्यता याचिकाओं पर निर्णय नहीं करके चंद्रचूड़ ने दलबदल के लिए दरवाजे और खिड़कियां खुली है.
शिवसेना (यूबीटी) के नेता राउत का यह बयान राज्य विधानसभा चुनाव में उनकी पार्टी की करारी हार के उपरांत ही आया है, जहां महा विकास आघाडी (एमवीए) के तहत उसने 95 सीट पर चुनाव लड़ा था लेकिन केवल 20 सीट पर ही जीत हासिल कर सकी. एमवीए के अन्य गठबंधन सहयोगियों का प्रदर्शन भी कुछ बेहतर नहीं रहा. कांग्रेस ने 101 में से केवल 16 सीट जीतीं और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने 86 सीट में से केवल 10 सीट अपने नाम कर ली.
‘इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाएगा नाम’: खबरों का कहना है कि राउत ने पत्रकारों के साथ बातचीत में इल्जाम लगाया है, ‘‘उन्होंने (चंद्रचूड़) दलबदलुओं के मन से कानून का डर खत्म कर चुका है. उनका नाम इतिहास में काले अक्षरों में लिखा जाने वाला है.’’ 2022 में अविभाजित शिवसेना में विभाजन के उपरांत, उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाले पार्टी के गुट ने एकनाथ शिंदे के साथ दलबदल करने वाले पार्टी विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दर्ज की है. अदालत ने अयोग्यता याचिकाओं पर फैसला करने का दायित्व विधानसभा अध्यक्ष पर छोड़ था. विधानसभा अध्यक्ष ने शिंदे के नेतृत्व वाले शिवसेना गुट को ‘‘असली राजनीतिक दल’’ घोषित किया था.
‘…तो परिणाम अलग होते’: राउत ने इल्जाम लगाया कि विधानसभा चुनाव के नतीजे पहले से तय थे. उन्होंने बोला है कि अगर तत्कालीन चीफ जस्टिस ने अयोग्यता याचिकाओं पर समय पर निर्णय किया होता तो परिणाम अलग होते. उन्होंने इस बारें में बोला है कि, ‘‘हम दुखी हैं, लेकिन निराश नहीं हैं. हम लड़ाई को अधूरा नहीं छोड़ेंगे. मतों का विभाजन भी एक कारक था और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने चुनाव में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. जहरीले अभियान ने हम पर नकारात्मक प्रभाव डाला.’’
राउत ने बोला है कि नई सरकार का शपथग्रहण समारोह पड़ोसी गुजरात में होना जरुरी है. इस दौरान पार्टी के मुखपत्र ‘सामना’ में अपने साप्ताहिक स्तंभ ‘रोखठोक’ में शिवसेना (उबाठा) नेता राउत ने दावा किया कि निर्वाचन आयोग के प्रति संवेदना व्यक्त करने का वक़्त आ गया है, जिसने धनबल के इस्तेमाल पर आंखें मूंद लीं. उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘अदालतें लंबे समय से ICU में हैं.”
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