हम आपको बता दें सनातन परंपरा को मानने वाले अधिकांश घरों के आंगन में तुलसी का पौधा जरूर लगा होता है। लोग घरों के आंगन में तुलसी लगाकर रोज उसकी पूजा करते हैं तथा जल चढ़ाते हैं, लेकिन तुलसी केवल धार्मिक महत्व का पौधा नहीं है बल्कि इसके कई चिकित्सकीय गुण इसे औषधियों की कतार में भी शामिल करते हैं। यह आयुर्वेद की एक महत्वपूर्ण औषधि है जो कई तरह के रोगों के निदान में प्रयोग में लाई जाती है। आयुर्वेद में तुलसी के पत्ते को सबसे बेहतरीन प्राकृतिक एंटी-बायोटिक माना जाता है।
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ऐसे फायदा पहुंचाती है तुलसी
जानकारी के अनुसार तुलसी के इस्तेमाल का सबसे बेहतर तरीका होता है चाय के साथ इसका सेवन करना। तुलसी के पत्ते का उपयोग कर बनाई गई चाय प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करती है और मुंह के जर्म्स से सुरक्षा दिलाने में सहयोग करती है। इसके अलावा यह चेहरे के मुहांसो से भी छुटकारा दिलाती है। ब्लड शुगर के नियंत्रण में भी तुलसी के पत्ते की चाय अहम भूमिका निभाता है। इसके अलावा तुलसी के पत्ते को पानी के साथ निगलकर या फिर इसका काढ़ा बनाकर सेवन किया जा सकता है।
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और भी है कई फ़ायदे
इसी के साथ तुलसी के पत्ते में भारी मात्रा में आयरन और मर्करी पाया जाता है। तुलसी के पत्ते को चबाने पर ये तत्व हमारे मुंह में घुल जाते हैं। ये दोनों ही तत्व हमारे दांतों की सेहत के लिए तथा उनकी सुंदरता के लिए नुकसानदेह हैं। तुलसी थोड़ी अमलीय यानी कि एसिडिक नेचर की होती है, इसलिए रोजाना इसका सेवन दांतों की तकलीफों को दावत दे सकता है।
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