हिंदू धर्म में तुलसी को सबसे महत्वपूर्ण बताया जाता है। जी दरअसल ऐसी मान्यता है कि जिस घर में मां तुलसी की पूजा विधि-विधान से की जाती है वहां हमेशा खुशहाली रहती है। इसी के साथ मां लक्ष्मी का वास रहता है। इस वजह से सुबह रोजाना तुलसी के पौधे को जल देना चाहिए और शाम के समय घी का दीपक जलाना चाहिए। आप सभी को बता दें कि वैशाख माह में तुलसी पूजन का काफी अधिक महत्व है, क्योंकि इस माह को भगवान विष्णु का प्रिय माह माना जाता है। इसलिए रोजाना भगवान विष्णु को तुलसी दल चढ़ाने से हर तरह के कष्ट से छुटकारा मिल जाता है।
हालाँकि तुलसी तोड़ने के भी कुछ नियम बताए गए हैं जिनका पालन करना बेहद जरूरी माना जाता है। जी हाँ और आज हम आपको उन्ही के बारे में बताने जा रहे हैं। जी दरअसल शास्त्रों के अनुसार, तुलसी की पत्तियों को रविवार के दिन नहीं तोड़ना चाहिए। इस दिन तुलसी तोड़ने से भगवान विष्णु आपसे नाराज होते हैं। वहीं विष्णु पुराण के अनुसार, एकादशी, द्वादशी, सूर्य ग्रहण, चंद्र ग्रहण के दिन भी तुलसी नहीं तोडना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इससे घर में कलह पैदा होती है। इसके अलावा सूरज ढलने के बाद कभी भी तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए और हो सके तो सुबह के समय ही तुलसी तोड़ कर रख लें। जी दरअसल इसकी एक खास बात होती है कि ये कभी भी खराब नहीं होती।
इसके सुखे पत्ते भी इस्तेमाल किए जा सकते हैं। इसके अलावा कभी भी अनावश्यक रूप से तुलसी नहीं तोड़नी चाहिए। अगर आप तुलसी तोड़कर उसका इस्तेमाल नहीं करते तो इससे श्री हरि नाराज़ हो जाते हैं। ध्यान रहे रविवार के दिन तुलसी के पौधे को जल भी नहीं देना चाहिए। जी दरअसल मान्यता है कि तुलसी माता रविवार के दिन भगवान विष्णु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और आपके जल देने से व्रत खंडित हो जाता है। इसके अलावा खुले बाल करके भी तुलसी माँ को जल नहीं देना चाहिए।
जी दरअसल भगवान विष्णु ने माँ तुलसी को सदा सुहागन रहने का वरदान दिया है और इसके लिए उन्हें अपने सिर पर स्थान प्रदान किया है। सौभाग्य वृद्धि के लिए बालों को बांधकर और मांग में सिंदूर लगाकर तुलसी को जल देना चाहिए। श्री गणेश जी और भगवान शंकर को तुलसी चढ़ाना वर्जित माना गया है। इसके अलावा घर में कभी भी तुलसी का सुखा पौधा नहीं रखना चाहिए।
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