पाकिस्तान के साथ कई मसलों पर चर्चा करने के लिए तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन पाक के दो दिवसीय दौर पर हैं. एर्दोगन ने कहा कि वह फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक में पाकिस्तान को काली सूची में डालने जाने का विरोध करेंगे. उन्होंने कहा कि राजनीतिक दबाव का मुकाबला करने के लिए वह इस्लामाबाद का साथ देंगे.आतंकी वित्तपोषण और वैश्विक धन शोधन पर नजर रखने वाली संस्था एफटीएफ ने पाकिस्तान को ग्रे-लिस्ट में शामिल किया है. अगर पाकिस्तान एफएटीए की शर्तो को पूरा नहीं कर पाता तो उसे ब्लैकलिस्टिंग का सामना करना पड़ सकता है.
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार एफएटीएफ की अगली प्लेनरी बैठक पेरिस में होने वाली है. ऐसे में तुर्की, चीन, मलेशिया और सऊदी अरब जैसे सहयोगी देशों के समर्थन से पाकिस्तान को काली सूची से दूर रहने में मदद मिल सकती है.
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ब्लैकलिस्टिंग से बचने के लिए किसी भी देश को न्यूनतम तीन वोटों की आवश्यकता होती है. यदि ईरान और उत्तर कोरिया के साथ पाकिस्तान भी ब्लैकलिस्ट में शामिल हो जाता है, तो उसे ऐसे समय में प्रतिबंधों और आर्थिक झटकों का सामना करना पड़ेगा जब इसकी अर्थव्यवस्था संकट से जूझ रही है.एर्दोगन ने इस्लामाबाद पहुंचने के एक दिन बाद पाकिस्तान की संसद में कहा, 'हम फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स की बैठक में पाकिस्तान का समर्थन करेंगे, जहां पाकिस्तान के उपर राजनीतिक दबाव डाला जा रहा है.
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