भारत को हथियार नहीं देगा तुर्की, लगाया प्रतिबंध ! इस फैसले पर विदेश मंत्रालय ने दिया दो टूक जवाब

भारत को हथियार नहीं देगा तुर्की, लगाया प्रतिबंध ! इस फैसले पर विदेश मंत्रालय ने दिया दो टूक जवाब
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नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया, जिनमें दावा किया गया था कि तुर्की ने भारत को सैन्य निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। विदेश मंत्रालय ने स्पष्ट शब्दों में कहा है कि "यह गलत सूचना है"। दरअसल, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि तुर्की ने पाकिस्तान से करीबी बढ़ाते हुए भारत को रक्षा निर्यात के मामले में 'पूर्ण प्रतिबंध' लगा दिया है, जिससे भारत के साथ उसके राजनयिक संबंध और अधिक तनावपूर्ण हो गए हैं। 

अब भारत के विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने इन ख़बरों पर जवाब दिया है। मीडिया से बात करते हुए उन्होंने कहा कि, "जहां तक ​​मेरी जानकारी और सूचना का सवाल है, वह खबर ठीक नहीं है। इसलिए मैं आपको यह सुझाव दूंगा कि कृपया इस प्रश्न को तुर्की दूतावास के पास ले जाएं, जो आपको इसका सही उत्तर दे सकता है, क्योंकि यह तुर्की से आया एक पोस्ट है। मेरी समझ से, जहां तक ​​मेरी जानकारी है, यह सबसे अधिक गलत सूचना है।"

बता दें कि, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि तुर्की सरकार के एक अधिकारी ने अपनी संसद में बंद कमरे में हुई बैठक के दौरान प्रतिबंध के बारे में खुलासा किया था। कई मीडिया रिपोर्टों में कहा गया था कि तुर्की ने भारत को हथियारों के निर्यात के लिए काली सूची में डाल दिया है। हालाँकि, तुर्की के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन के नेतृत्व में पिछले कुछ सालों में तुर्की और भारत के बीच कूटनीतिक संबंध काफी खराब हो गए हैं। तनावपूर्ण संबंधों के पीछे मुख्य कारण नीतिगत निर्णय, विशेष रूप से भारत के साथ संघर्ष में पाकिस्तान को अंकारा का अटूट समर्थन माना जाता है।

तुर्की कई बार कश्मीर मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ देता रहा है और 'भारत में मुस्लिमों पर जुल्म' वाला एजेंडा भी उसका पसंदीदा रहा है। दुनियाभर में खुद को मुस्लिमों का खलीफा कहने वाला तुर्की अक्सर बहरत पर आरोप लगाता है कि भारत में मुस्लिमों पर अत्याचार हो रहा है,  जैसा पाकिस्तान भी करता है और भारत के विपक्षी दल भी अपने वोट बैंक को सुरक्षित रखने के लिए यही आरोप लगाते हैं। हालाँकि, गत वर्ष  जब तुर्की में विनाशकारी भूकंप आया था, जिसमे 50 हज़ार से अधिक लोग मारे गए थे, तो भारत उसकी मदद करने वाला सबसे पहला देश था। भारत ने राहत बचाव कार्यों के साथ डॉक्टरों की टीम और दवाइयों की खेप भी तुर्की भेजी थी, इस मदद से वहां के लोग काफी भावुक हो गए थे। उन्होंने यहाँ तक कह दिया था कि, हमारे लिए अल्लाह के बाद आप ही हो। हालाँकि, इसके बाद जब संयुक्त राष्ट्र (UN) में कश्मीर का मुद्दा उठा, तो तुर्की ने खुलकर पाकिस्तान का समर्थन किया। इसलिए ये माना जा सकता है कि तुर्की पाकिस्तान  की बातों में आकर भारत पर रक्षा प्रतिबंध लगा भी सकता है।    

हालाँकि, यदि यह प्रतिबंध लगाया भी जाता तो भी भारत पर इसका कोई असर नहीं पड़ने वाला नहीं है, क्योंकि उसने पहले ही अंकारा को हथियारों की आपूर्ति बंद कर दी है। इसके अलावा भारत रक्षा क्षेत्र में तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है, उसे बाहर से गोला-बारूद या हथियार मंगाने की अब इतनी आवश्यकता ही नहीं है। रक्षा क्षेत्र में 'मेक इन इंडिया' दृष्टिकोण को साकार करने के भारत के रणनीतिक प्रयासों को देखते हुए, हाल के वर्षों में घरेलू हथियारों और गोला-बारूद का उत्पादन रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गया है। वित्तीय वर्ष 2022-2023 में रक्षा उत्पादन 1,08,684 करोड़ रुपये का था। पिछले पांच वर्षों में, या 2019 से 2022 तक, रक्षा विनिर्माण का मूल्य 60% से अधिक बढ़ गया है।

बीते कुछ सालों में भारत का रक्षा निर्यात भी तेज़ी से बढ़ा है, भारत दुनिया के लगभग 90 देशों को हथियार बेचने लगा है, जबकि पहले वो केवल खरीदने वाले देशों में शामिल था। उल्लेखनीय है कि वित्त वर्ष 2023-24 में रक्षा निर्यात 21,083 करोड़ रुपये के नए उच्च स्तर पर पहुंच गया, जो पिछले वित्त वर्ष के 15,920 करोड़ रुपये से 32.5% अधिक है। कांग्रेस के 10 वर्षों (2004 से 2014) में जहाँ भारत का रक्षा निर्यात 4300 करोड़ था, वो मोदी सरकार के 10 वर्षों में  88,319 करोड़ रुपये हो गया है। जो दोगुनी-चौगुनी नहीं बल्कि लगभग 21 गुना की जबरदस्त वृद्धि है। 

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