ये तो सभी जानते है कि मां का दर्जा दुनिया में सबसे ऊंचा माना गया है, मगर जिंदगी की पथरीली राहों में पिता हमें उंगली पकड़कर चलाना सिखाते हैं. हमारी जिंदगी के पहले हीरो हमारे पापा ही होते हैं. यहां टीवी स्टार्स बता रहे हैं कि उनके लिए फादर्स डे के मायने क्या हैं और मैंने अपने पिता को हमेशा से परिवार के प्रति समर्पित पाया है. जब भी कोई जरूरत हो या मुसीबत वह हमेशा चट्टान की तरह खड़े रहते हैं. कोई भी सिचुएशन हो, उनकी मुस्कान कभी बोझिल नहीं होती. मैंने अपने पापा से हमेशा यही सीख ली कि अपने परिवार का हर दम साथ दो. मैंने यह भी देखा है कि उन्होंने मुझे और मेरी बहन को घर में कभी बेटों से कम नहीं समझा. उन्होंने हमें वह सबकुछ करने दिया, जो हम चाहते थे. जहां तक फादर्स डे को सेलिब्रेट करने की बात है, तो जब तक पापा का हाथ हमारे सिर पर है, हमारे लिए हर रोज फादर्स डे है. आज इस खास मौके पर इन स्टार्स ने खास अंदाज में अपने पिता को दिया तोहफा
निशांत मलकानी : फादर्स डे पर डैड को गोवा ट्रिप गिफ्ट की
मेरे पिता का नाम दीपक मलकानी है. मेरे पिता से मुझे एक सलाह दी. वह यह कि अपने जीवन में जो करना चाहते हो, वह करो, मगर अपना सौ प्रतिशत देकर. उनकी इसी सलाह ने मुझे मैनेजमेंट की जॉब छोड़ कर ऐक्टिंग में करियर बनाने की हिम्मत दी. इस साल मेरे पैरेंट्स मुंबई आ रहे हैं. इसके बाद मैंने उनको गोवा की एक ट्रिप गिफ्ट की है, ताकि वह घर-परिवार की जिम्मेदारियों से दूर एक-दूजे के साथ क्वॉलिटी टाइम स्पेंड करें. उनको शुक्रिया कहने का मेरा यह तरीका है.
कृष्ण भारद्वाज : पिता से सीखी शुद्ध हिंदी
मैं रांची से हूं और मेरे पिता का नाम डॉक्टर अनिकेत भारद्वाज है. मेरे भीतर जो थोड़ा बहुत ऐक्टिंग का हुनर है, वह मेरे पापा की वजह से हैं. दरअसल, मेरे पिता खुद भी ऐक्टर, राइटर और डायरेक्टर हैं। फिलहाल वह रांची में रहते है. उनके हिंदी में पीएचडी होने के नाते मेरी शुद्ध हिंदी की ट्रेनिंग बचपन में ही शुरू हो गई थी. इसलिए तो मैं तेनाली राम सरीखे किरदार को बेहतर तरीके से निभा पा रहा हूं, जिसमें मुझे शुद्ध हिंदी में डायलॉग्स बोलने हैं. शूटिंग शेड्यूल की वजह से इस बार मैं पिता से दूर रहूंगा, लेकिन उनके लिए काफी सारे गिफ्ट जरूर भेजूंगा.
दिव्यांका त्रिपाठी: पापा से बच्चे बने रहते हैं
मैं तो हर बात में अपने पापा का अनुसरण करती हूं. वे बहुत ही पॉजिटिव और बच्चे सरीखे हैं. उन्होंने अपना बचपना अभी तक बरकरार रखा है. वे जीवन में अपने काम और प्राथमिकताओं को लेकर हमेशा बहुत ही फोक्सड रहे हैं. उन्होंने काम और परिवार के बीच हमेशा खूबसूरत तालमेल बैठाया है. मैं उनसे यह गुर भी सीख रही हूं. उनके साथ बिताया हुआ हर दिन मेरे लिए फादर्स डे होता है.
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