बाल कलाकारों को लेकर छोटे परदे पर धारणा बनी हुई है कि वे अभिनय क्षेत्र में आने के बाद अपनी पढ़ाई के साथ न्याय नहीं कर पाते. उस धारणा को तोड़कर एक नया उदाहरण पेश किया है अशनूर ने. दसवीं कक्षा में सीबीएससी बोर्ड में 93 प्रतिशत अंक लाकर उन्होंने नया उदाहरण सेट किया है. पांच साल की नन्ही उम्र से टीवी पर अभिनय करनेवाली अशनूर 'न बोले तुम न मैंने कुछ कहा', बड़े अच्छे लगते हैं, पृथ्वी वल्लभ, देवों के देव महादेव, ये रिश्ता क्या कहलाता है, महाभारत जैसे सीरियलों और अनुराग कश्यप की फिल्म मनमर्जियां में भी दिख चुकी हैं. पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहनेवाली अशनूर को अब तक गोल्डन पेटल अवॉर्ड, नन्हे नटखट अवॉर्ड और इंटरनैशनल ह्यूमन राइट्स काउंसिल जैसे पुरस्कारों से नवाजा जा चुका है. यहां अशनूर बता रही हैं कि 'पटियाला बेब्स जैसे डेली सीरियल में रात-दिन काम करते हुए वह कैसे दसवीं में 93 प्रतिशत अंक लाने में सफल रहीं. आइये जानते है पूरी जानकारी विस्तार से
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अपने बयान में अशनूर कहती हैं, 'मम्मी टीचर रही हैं. उनके संपर्क से मुझे पांच साल की उम्र में पहला सीरियल 'झांसी की रानी' मिला था. तकरीबन सौ लोगों के ऑडिशन के बाद मुझे प्राची नामक किरदार मिला. सीरियल में मुझे शुद्ध हिंदी बोलनी थी और तब हिंदी के मामले में मैं बहुत कच्ची थी, मगर मैंने उस वक्त भी बड़ी मेहनत से अपने डायलॉग याद किया करती थी. सेट पर सबसे छोटी होने के नाते मुझे बहुत प्यार-दुलार मिलता था. अब तक मैं कई धारवाहिकों में काम कर चुकी हूं, मगर मेरे लिए सबसे मुश्किल था सीरियल 'शोभा सोमनाथ' का सेट. हम जयपुर में शूटिंग कर रहे थे. चंचल बच्ची होने के नाते मैं खूब उछल-कूद किया करती थी. एक दिन ऐसी ही मस्ती में मेरा सिर बेड से टकरा गया. गहरी चोट लगी. पांच टांके लगवाने पड़े. बहुत दर्द हो रहा था, मगर उस आउटडोर शूटिंग में सारे सीन मुझपर थे, सो उन टांकों को पट्टी और मांग टीके से कवर किया गया और शूटिंग पूरी की गई. जब शॉट होता तो वे मांग टीका लगा देते और शॉट के खत्म होते ही हटा दिया जाता. एक कलाकार के रूप में शो मस्ट गो ऑन जैसी मैंने उसी सेट पर कहावत का पहला सबक लिया.
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि जब बोर्ड की परीक्षा का पहला दिन आया, तो मैं नर्वस थी। मेरा सेंटर बोरीवली में था. असल में मैंने दसवीं की अपनी बोर्ड परीक्षाओं के लिए कोई ट्यूशन नहीं ली थी, मगर मैं अच्छे नंबर लाना चाहती थी. मुझे गणित का ज्यादा अभ्यास करने का मौका नहीं मिला था, इसलिए वह पेपर थोड़ा मुश्किल रहा. वरना हिंदी में मुझे 100 में से 98, अंग्रेजी में 97, साइंस में 95 मार्क्स मिले हैं. पटियाला बेब्स की शूटिंग पर जब मेरा रिजल्ट आया, तो 93 प्रतिशत अंक पाकर मैं पूरे सेट पर नाच रही थी. मुझे इस धारणा को तोड़ना था कि टीवी कलाकार अभिनय के चक्कर में पढ़ाई बर्बाद कर देते हैं. मैं आगे भी इसी लगन से अपनी पढ़ाई जारी रखूंगी.
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