बीते साल जुलाई से ट्विटर ने आतंक के खिलाफ बड़ा कदम उठाते हुए दिसंबर तक 166,513 अकाउंट सस्पेंड कर दिए हैं. इस पर ट्विटर का कहना है कि 'जीरो टॉलरेंस पॉलिसी इन्फर्मेशन' के चलते आतंकी संगठनों द्वारा ट्विटर के इस्तेमाल में तेजी से कमी आई है. ट्विटर के लीगल, पॉलिसी और ट्रस्ट ऐंड सेफ्टी लीड विजया गड़े का कहना है, कि पिछले रिपोर्टिंग पीरियड (जनवरी-जून 2018) के मुकाबले आतंक से जुड़े ट्वीट्स में अब तक 19 फीसदी तक की कमी आई है. गड़े ने एक ब्लॉग पोस्ट में बताया, "जो अकाउंट सस्पेंड किए गए हैं, इंटरनल तकनीकी टूल्स ने उनमें से 91 फीसदी को हमने फ्लैग कर गलता पाया था. आगे जाने पूरी जानकारी विस्तार से
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हमसे 86 देशों की सरकारों ने सूचना के लिए आग्रह किया था. अमेरिका ने 30 फीसदी इन्फर्मेशन रिक्वेस्ट भेजी थी. इस श्रेणी में अन्य ग्लोबल अकाउंट से 35 फीसदी रिक्वेसट भेजी गई थी."ब्लॉग में बताया गया है कि अमेरिका के बाद जापान से 24 फीसदी रिक्वेस्ट, ब्रिटेन से 13 फीसदी रिक्वेस्ट, भारत और जर्मनी से 6-6 फीसदी रिक्वेस्ट आई थीं. गड़े का कहना है, "हमारे पास पिछले रिपोर्टिंग पीरियड के मुकाबले प्लैटफॉर्म से कंटेंट हटाने की आठ फीसदी कम रिक्वेस्ट आई हैं."
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आपकी जानकारी के लिए बता दे कि ऐसा पहली बार हो रहा है कि ट्विटर को बुल्गारिया, मेसेडोनिया और स्लोवेनिया समेत 48 देशों के 27,283 अकाउंट्स से जुड़ी रिक्वेस्ट मिली हैं. कुल लीगल रिक्वेस्ट में से 74 फीसदी में केवल दो देशों से रूस और तुर्की से शेयर किए गए कंटेंट को हटाने का निवेदन किया गया है. जो अकाउंट हटाए गए हैं, उनमें से 456,989 यूनीक अकाउंट्स बाल यौन उत्पीड़न से जुड़े आरोपों के चलते हटाए गए. बीते रिपोर्टिंग पीरियड के मुकाबले ये संख्या 6 फीसदी कम है. खास बात ये है कि इन अकाउंट्स में से करीब फोटोडीएनए और बाकी टूल्स के जरिए ट्विटर ने 96 फीसदी को फ्लैग किया था.
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