नई दिल्लीः पिछले कई दिनों से समाजवादी पार्टी में भगदड़ सी मच गई। राज्य विधानसभा में पार्टी की कमजोर स्थिति के कारण नेता अपनी जगह पक्की करने के लिए भाजपा की ओर रूख कर रहे हैं। ये सिलसिला नीरज शेखर से शुरू हुआ और अब तक चालू है। इस लिस्ट में दो और नाम जुड़ने की चर्चा है। इसमें सुखराम सिंह यादव और विशंभर प्रसाद निषाद के नाम की चर्चा सबसे ज्यादा है। बीजेपी सपा के नेताओं को अपने सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले के तहत चुन-चुन कर ला रही है।
बीजेपी की निगाह इस बहाने आने वाले 12 सीटों पर होने वाले विधानसभा उपचुनाव और 2022 चुनाव है, इसके लिए ही पार्टी जातीय समीकरणों के हिसाब चुनावी बिसात को सेट कर रही है ।सपा छोड़कर गए सुरेंद्र नागर गुर्जरों के बड़े नेताओं में गिने जाते हैं। सपा के कोषाध्यक्ष संजय सेठ भी कारपोरेट जगत केसाथ पंजाबी और खत्री लॉबी में अच्छी पैठ रखते हैं। इन दोनों नेताओं का कार्यकाल अभी 2022 तक था। इसी क्रम में निषाद और यादव भी बिरादरी के कद्दावरों में शुमार रखते हैं।
2020 में यूपी से राज्यसभा के लिए खाली हो रहीं 10 सीटों में से 9 सीट पर भाजपा पार्टी मजबूत स्थिति में है। इसके अलावा 2022 में खाली होने वाली 12 सीटों में से भी पार्टी 11 को जीतने की स्थिति में है। यूपी से राज्यसभा के 31 सदस्य हैं इसमें पहले 14 सपा से थे। जो अब घटकर 10 रह गये हैं। दो और सांसद अगर जाते हैं तो पार्टी का कुनबा घटकर गिनती के आठ सांसदों का रह जाएगा।
2022 तक पार्टी से उच्च सदन के सांसदों की लंबी प्रतिक्षा लिस्ट हो जाएगी। इसमें रामगोपाल यादव, बेनी प्रसाद वर्मा, तजीन फातिमा और रेवती रमन सिंह पहले ही शामिल हैं। इसके अलावा यादव परिवार से पत्नी डिंपल यादव, धर्मेंद्र यादव और अक्षय यादव हैं। बीजेपी राज्यसभा में अपने संख्याबल को दुरूस्त करने के लिए पूरी तरह से सक्रिय है।
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