तेहरान: ईरान में ईशनिंदा (Blasphemy) के मामले में बीते सोमवार (8 मई) को 2 लोगों को फांसी पर लटका दिया गया। बता दें कि, ईरान पूरे विश्व में सबसे अधिक फांसी देने वाले देशों में से एक है। वहीं, ईरान के इस कदम के बाद अमेरिका ने उसकी निंदा की है। एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी ईरान की आलोचना करते हुए कहा है कि इस्लामी गणराज्य मौत की सजा के मामले में "नए निचले स्तर" पर पहुंच चुका है।
ऑस्लो में स्थित समूह 'ईरान ह्यूमन राइट्स' के मुताबिक, इस साल की शुरुआत से अब तक कम से कम 230 कैदियों को सजा-ए-मौत दी जा चुकी है। हालांकि, ईशनिंदा के मामलों में फांसी देने के मामले दुर्लभ रहे हैं। पिछले कुछ मामलों में देखा गया है कि अधिकारियों ने ईशनिंदा के मामलों में सजा घटा दी थी। अमेरिका अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग के मुताबिक, सोमवार को मध्य ईरान की अराक जेल में यूसुफ मेहराद और सदरउल्ला को फांसी पर लटका दिया गया। उन्हें टेलीग्राम ऐप पर “अंधविश्वास और धर्म के आलोचक” शीर्षक वाले संदेश में शामिल होने के इल्जाम में मई 2020 में अरेस्ट किया गया था।
आयोग ने बताया था कि दोनों कैदियों को एकान्त कारावास में रखा गया था और परिजन उनसे संपर्क नहीं कर सकते थे। ईरान की न्यायपालिका की 'मीजान' समाचार एजेंसी ने पैगंबर मुहम्मद पर सवाल खड़े करने, उनका अपमान करने और नास्तिकता को बढ़ावा देने के इल्जाम में दोनों कैदियों को फांसी की सजा देने की पुष्टि की है।
'मेरी हत्या हो सकती है...', SC में इमरान खान की गुहार
पिता की मौत के बाद बेटे ने फ्रीजर में रख दिया शव, चौंकाने वाली है वजह