नई दिल्ली: नीति आयोग ने वित्त मंत्रालय के साथ चर्चा करते हुए पब्लिक सेक्टर के उन दो बैंकों के नाम को आखिरी रूप देना आरम्भ कर दिया है, जिनका चालू वित्त वर्ष के चलते निजीकरण किया जाना है। सरकार की विनिवेश प्रक्रिया के तहत यह फैसला लिया जा रहा है। आयोग को वित्त वर्ष 2021-22 में निजीकरण के लिए पब्लिक सेक्टर के दो बैंकों और एक साधारण बीमा कंपनी के चयन की जिम्मेदारी दी गई है। इसका ऐलान फरवरी में पेश बजट में किया गया था।
सूत्रों ने कहा कि इस सिलसिले में काम जारी है। इस केस में नीति आयोग की ओर से एक-दो बैठकें बुलाई गई हैं। उन्होंने बताया कि निष्कर्ष पर पहुंचने से पहले कई पहलुओं पर ध्यान देने की आवश्यकता है। इसमें मानव संसाधन प्रबंधन, वित्तीय सेहत आदि सम्मिलित हैं। नीति आयोग की सिफारिश के पश्चात् उस पर कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता वाला विनिवेश पर गठित सचिवों का मुख्य समूह विचार करेगा। इस उच्च स्तरीय समूह के अन्य सदस्य के तौर पर आर्थिक मामलों के सचिव, राजस्व सचिव, व्यय सचिव, कॉरपोरेट कार्य मामलों के सचिव, विधि सचिव, लोक उपक्रम विभाग के सचिव, निवेश तथा लोक संपत्ति प्रबंधन विभाग (दीपम) के सचिव तथा प्रशासनिक विभाग के सचिव सम्मिलित हैं।
सचिवों के कोर समूह से अनुमति प्राप्त होने के पश्चात् नामों की आखिरी सूची मंजूरी के लिए वैकल्पिक व्यवस्था हो जाएगी तथा आखिर में यह पीएम की अध्यक्षता में होने वाली कैबिनेट की बैठक में जाएगी। कैबिनेट की अनुमति प्राप्त होने पश्चात् नियामकीय स्तर पर परिवर्तन किए जाएंगे जिससे निजीकरण का मार्ग सुगम हो सके। बीते महीने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा था कि जिन बैंकों का निजीकरण किया जाएगा, उनके कर्मियों के हितों का पूर्ण तौर पर ध्यान रखा जाएगा। उनके वेतन या स्केल अथव पेंशन सहित सभी चीजों को ध्यान में रखा जाएगा।
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