कांग्रेस को आगामी चुनौतियों का सामना करने के लिए उसे राजनीतिक सहारे की जरूरत है, इससे इंकार नहीं किया जा सकता. सोनिया गांधी अध्यक्ष पद से सेवानिवृत्त हुई है , लेकिन राजनीति से नहीं. ऐसे में भंग हुए संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (यू.पी.ए.) को फिर से सक्रिय करने में सोनिया गांधी यू.पी.ए. की चेयरपर्सन बनी रहेंगी.लेकिन ऐसी चर्चा है कि गठबंधन को एक उत्प्रेरक की भूमिका निभाने के लिए अन्य पार्टियों से एक संयोजक चुनने का विचार किया जा रहा है. इसमें विपक्षी नेता शरद यादव का नाम यू.पी.ए. के संयोजक के रूप में उभर कर सामने आने की खबर है.
गौरतलब है कि यू.पी.ए.-1 और यू.पी.ए.-2 में कोई भी संयोजक नहीं था. लेकिन अब ऐसा महसूस किया जा रहा है कि विपक्षी दलों से एक संयोजक का होना जरूरी है, जो उनको बेहतर ढंग से समझ सके. कांग्रेस में शरद यादव की अहमियत इसलिए है , क्योंकि उन्होंने मोदी सरकार में मंत्री पद को ठुकरा कर अपने वचन पर अडिग रहे थे. इसलिए संयोजक के लिए उनका नाम चर्चा में है.
बता दें कि कांग्रेस शरद यादव को राज्यसभा में भेजना चाहती है.उधर कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी अब भारत में जाति राजनीति को न केवल पूरी तरह समझ गए हैं , बल्कि उसमें पूरी तरह से घुल भी गए हैं. इस बारे में शरद यादव से अधिक बेहतर कौन जानेगा जो मंडल आयोग की राजनीति के प्रबल पक्षधर थे. इसीलिए कांग्रेस को शरद यादव से अच्छा कोई विकल्प नजर भी नहीं आ रहा है.
यह भी देखें
शरद यादव पर नीतीश कुमार की बड़ी जीत
सोनिया ने कांग्रेस कार्यकर्ताओं से मिलने से किया मना