नई दिल्ली: उदयपुर में हुए कन्हैयालाल हत्याकांड की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) द्वारा की जा रही है। इस मामले में कई लोगों से पूछताछ की जा चुकी है और कई लोगों से पूछताछ चल रही है। अभी कई लोगों के मोबाइल सिम की तकनीकी जांच रिपोर्ट भी आना बाकी है। इन सबके बीच एक बात सामने आई है कि कन्हैयालाल के हत्यारे, इतने कट्टरपंथी हो चुके हैं कि जिस हैवानियत की पूरी दुनिया में आलोचना हो रही है, उस पर आरोपियों को कोई पछतावा नहीं है। अब NIA के लिए यह चुनौती है कि आखिर इन दोनों को इतना कट्टर बनाने के पीछे कौन लोग हैं।
इस पूरे मामले पर NIA ने कोई आधिकारिक बयान तो जारी नहीं किया है, मगर जांच से संबंधित और जांच के दायरे में आए लोगों ने इस बात की पुष्टि की है कि मुख्य आरोपी बेहद कट्टरपंथी हो गए हैं और उन्हें अपने किए पर कोई पछतावा नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, उदयपुर मामला,अमरावती में उमेश कोल्हे की हुई निर्मम हत्या और बिहार में पकड़े गए इस्लामी कट्टरपंथियों की सोच एक जैसी ही लगती है। NIA ने यह अवश्य कहा है कि बिहार के फुलवारी शरीफ इलाके में जिस मॉड्यूल पर काम किया जा रहा था, वो राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। 22 जुलाई को NIA को सौंपने के बाद इस मामले में 26 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इनको पीएम नरेंद्र मोदी के बिहार दौरे के एक दिन पहले ही अरेस्ट किया गया था, जिनका मकसद पीएम को निशाना बनाना था।
सूत्रों के अनुसार, इनमें अधिकतर का संबंध कट्टरपंथी इस्लामी संगठन (PFI) से रहा है। बिहार में हुई छापेमारी की खुफिया जानकारी में PFI के पर्चों के साथ ही '2047 इंडिया : टूवर्ड्स द डोमियन ऑफ इस्लामिक इंडिया' वाले दस्तावेज बरामद हुए हैं। बता दें कि PFI का लक्ष्य 2024 तक भारत को इस्लामी मुल्क बनाने का है, जिसके लिए वह तरह-तरह के हथकंडे अपना रहा है। यह भी कहा जा रहा है कि, उदयपुर के कातिल, अमरावती के हत्यारे, बिहार फुलवारी शरीफ के आतंकी, इन सभी की सोच एक जैसी ही है और सभी इस्लाम के प्रति कट्टर हैं।
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