मुंबई: बुधवार को महाराष्ट्र के मंत्री दीपक केसरकर ने आरोप लगाया कि उद्धव ठाकरे को भाजपा के साथ गठबंधन नहीं करने का पछतावा है। उन्होंने कहा कि उद्धव को कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) ने 5 वर्षों के लिए सत्ता का लालच दिया था। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए केसरकर ने बोला, "मैंने स्वयं देखा है कि पीएम नरेंद्र मोदी बालासाहेब ठाकरे के लिए कितने संवेदनशील हैं। जैसे ही वह (प्रधानमंत्री मोदी) महाराष्ट्र पहुंचे, तब उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह इस्तीफा दे देंगे तथा बीजेपी के साथ गठबंधन करेंगे। पीएम ने उन्हें अपनी पार्टी के सदस्यों को समझाने का वक़्त भी दिया, मगर उन्होंने सीएम बनने के लालच में अपना वादा तोड़ दिया।"
उन्होंने यह भी कहा कि उद्धव ठाकरे को शिंदे गुट के नेताओं को भगोड़ा कहने का कोई अधिकार नहीं है तथा उनसे सच्चाई सबके सामने लाने को बोला। केसरकर ने कहा, "यहां तक कि उद्धव ठाकरे को भी कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) के साथ गठबंधन करने और हिंदुत्व की विचारधारा से अलग होने की अपनी गलती का एहसास हुआ।"
वही हाल ही में महाराष्ट्र के पूर्व सीएम एवं शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के प्रमुख उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिवसेना के बागी विधायकों की अयोग्यता पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला पहले आना चाहिए तथा उसके पश्चात् निर्वाचन आयोग को इस पर फैसला लेना चाहिए कि मूल पार्टी किसकी है। उद्धव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर ये बात कही थी। शिंदे सरकार के मंत्री ने इसे "सहानुभूति" हासिल करने का प्रयास करार दिया। उन्होंने कहा, "सार्वजनिक तौर पर ऐसा बयान देने की क्या आवश्यकता थी? आप सर्वोच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर सकते थे कि आपकी एक निश्चित मांग है। यह केवल सहानुभूति बटोरने की कोशिश है, मगर राजनीति सहानुभूति पर काम नहीं करती है।" बुधवार को उद्धव ठाकरे ने मातोश्री में अपने मीडिया संबोधन में कहा कि चुनाव आयोग (ईसी) को शिवसेना पार्टी के मूल चिन्ह पर अपना फैसला तब तक रोकना चाहिए जब तक कि सर्वोच्च न्यायालय बागी विधायकों की अयोग्यता पर अपना आदेश नहीं दे देता।
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